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गणधर गौतम : परिशीलन
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गौतम नामांकित साहित्य विद्यमान आगमों में जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति, चन्द्रप्रज्ञप्ति और सूर्यप्रज्ञप्ति आदि रचनाओं का तो इन्द्रभूति के प्रश्नों पर ही आधार है और विशालकाय पंचम अंग भगवती सूत्र तो पूर्णतः ही गौतम के प्रश्नों पर ही आधारित है । आगम साहित्य के अनन्तर कुछ प्रकरण और कथा-साहित्य का प्रारम्भ भी गौतम के प्रश्नों से प्राप्त होता है ।
परवर्ती प्राचार्यों द्वारा प्राकृत भाषा में रचित गौतम नामांकित दो लघुकृतियां प्राप्त हैं:-गौतम कुलक और गौतम पृच्छा।
गौतम कुलक में मात्र २० गाथाएँ हैं। इस पर ज्ञानतिलक, सहजकीति की संस्कृत टोकात्रों और नयरंग, पद्मविजय के भाषात्मक बालावबोध प्राप्त हैं ।
गौतमपृच्छा में मात्र ६० गाथाएँ हैं । इस पर, मतिवर्धन एवं श्रीतिलक की संस्कृत टीकाएँ तथा शिवसुन्दर, सुधाभूषण, जिनसूर, मुनिसुन्दर सूरि के भाषात्मक बालावबोध प्राप्त हैं । संस्कृत रचनायें
महाकाव्य-संस्कृत महाकाव्य के रूप में गौतम स्वामी से सम्बन्धित स्वतन्त्र एवं मौलिक रूप से एक मात्र रचना हैगौतमीय महाकाव्य । इसके प्रणेता हैं खरतरगच्छीय उपाध्याय रामविजय प्रसिद्ध नाम रूपचन्द्र । रचना संवत् वि. १८०७ है। कृति अर्वाचीन अवश्य है, किन्तु है वैशिष्ट्य पूर्ण एवं महत्वपूर्ण । इस पर क्षमाकल्याणोपाध्याय विरचित टीका (र. सं. १८५२) भी प्राप्त है । यह काव्य प्रकाशित भी हो चुका है ।
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