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________________ गौतम रास : परिशीलन प्रभु के निर्वाण से जन-समाज अथाह दुःख सागर में डूब गया था। गौतम के सर्वज्ञ बनने से उसमें अन्तर पाया। चतुर्विध संघ अत्यन्त प्रसन्न हुआ और गौतम स्वामी की जय जयकार करने लगा। महावीर का निर्वाण और गौतम के ज्ञान का प्रसंग एकरूप बनकर पवित्र स्मरण के रूप में सर्वदा स्मरणीय बन गया । गौतम का निर्वाण श्रमण भगवान महावीर देहमुक्त सिद्ध हुए और गौतम स्वामी देहधारी मुक्तात्मा केवली हुए। महावीर तीर्थ-संस्थापक तीर्थकर थे और गौतम सामान्य जिन बने। केवलज्ञान की दिव्यप्रभा में गौतम स्वामी ने सर्वत्र विचरण किया । अनुभूति पूर्ण धर्मदेशना के माध्यम से सहस्रों आत्माओं को प्रतिबोध देकर सिद्धि का मार्ग प्रशस्त करते रहे । महावीर-शासन को उद्योतित करते हुए तीर्थ को सुदृढ़ और सबल बनाया। गौतम स्वामी भगवान् महावीर के १४००० साधुओं, ३६००० साध्वियों, १५६००० श्रावकों और ३१८००० श्राविकाओं के एवं स्वयं तथा अन्य गणधरों की शिष्यपरम्पराओं के एक मात्र गणाधिपति, संवाहक और सफल संचालक होते हुए भी सर्वदा निःस्पृही, निरभिमानी एवं लाघव सम्पन्न ही रहे । अन्त में, भगवान् के शासन की एवं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003811
Book TitleGautam Ras Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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