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गणधर गौतम : परिशीलन
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३. सिद्धि सान्त है या अनन्त है ? ४. सिद्ध सान्त है या अनन्त है ?
५. किस मरण से मरता हा जीव संसार घटाता है और किस मरण से जीव संसार बढ़ाता है ?
स्कन्दक मौन रहा । बारम्बार पूछने पर भी उत्तर न दे सका।
एकदा श्रमण भगवान् महावीर कृतंगला नगरी के छत्रपलाशक उद्यान में पधारे । भगवान् के आगमन का संवाद सुनकर स्कन्दक ने निर्णय किया कि मैं भगवान की सेवा में जाकर उनकी पर्युपासना करूं और पिंगल निर्ग्रन्थ द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर प्राप्त करूं । और, वह प्रभु के समवसरण की ओर चल पड़ा।
इधर भगवान् ने गौतम से कहा-हे गौतम ! आज तू अपने पूर्व भव के साथी को देखेगा।
गौतम-भगवन् ! मैं आज किसको देखूगा ? भगवान - स्कन्दक तापस को देखेगा।
गौतम-मैं उसे कब, किस तरह से और कितने समय बाद देखंगा ?
भगवान -वह संकल्प पूर्वक मेरे पास आ रहा है । अभी वह मार्ग में चल रहा है । तू आज ही उसे देखेगा ।
गौतम--भगवन् ! क्या वह परिव्राजक आपके पास प्रवजित होने में समर्थ है ?
भगवान-हाँ, गौतम ! वह प्रवजित होने में सक्षम है।
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