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________________ गौतम रास : परिशीलन प्रतिष्ठित करते हुए उक्त निर्णय लिये थे। फलतः पार्श्वपरम्परा महावीर की परम्परा में समाहित हो गई। दोनों का यह मिलन वस्तुतः इतिहास को एक अभूतपूर्व एवं चिरस्मरणीय घटना है। केशी-गौतम के प्रश्नोत्तरों का विशेष अध्ययन करने के लिये उत्तराध्यन सूत्र का तेवीसवां अध्ययन द्रष्टव्य है । अतिमुक्त : अन्तकृद्दशांग सूत्र के छठे वर्ग के पन्द्रहवें अध्ययन में प्रसंग आता है कि पोलासपुर में विजय नामक राजा था। उसकी श्रीदेवी महारानी थी। उनके पात्मज का नाम था अतिमुक्त कुमार, जो अतीव सुकुमार था। गुरु गौतम भगवान् की स्वीकृति लेकर छ? तप के पारणे के दिन भिक्षा लेने पोलासपुर नगर में भ्रमण करने लगे। इधर अतिमुक्त कुमार समवयस्क बच्चों के साथ सड़क पर खेल रहा था। गुरु गौतम उधर से निकले । उसने उन्हें देखा और निकट में आकर बोला भंते ! आप कौन हैं और क्यों घूम रहे हैं ? गौतम ने कहा-हे देवानुप्रिय ! हम श्रमण-निर्ग्रन्थ हैं और भिक्षार्थ भ्रमण कर रहे हैं। अतिमुक्त-“भगवन् ! आप आओ ! मैं भिक्षा दिलाता हूँ।" ऐसा कहकर अतिमुक्त ने गुरु गौतम की अंगुलो पकड़ी और अंगुली पकड़े-पकड़े ही अपने घर | राजमहल में ले आया। राजा-रानी गौतम स्वामी को अपने घर पधारते देखकर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003811
Book TitleGautam Ras Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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