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________________ गौतम रास : परिशीलन छात्र संख्या-विशेषावश्यक भाष्य के अनुसार गौतम ५०० शिष्यों के साथ महावीर के शिष्य बने थे, निर्विवाद है । किन्तु अपने अध्यापन काल में तो उन्होंने सहस्रों छात्रों को शिक्षित कर विशिष्ट विद्वान् अवश्य बनाये होगे? इस सम्बन्ध में आचार्य श्री हस्तिमल जी ने "इन्द्रभूति गौतम'1 लेख में जो विचार व्यक्त किये हैं, वे उपयुक्त प्रतात होते हैं __“सम्भवतः इस प्रकार ख्याति प्राप्त कर लेने के पश्चात् वे वेद-वेदांग के प्राचार्य बने हों। उनकी विद्वत्ता की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फेल जाने के कारण यह सहज ही विश्वास किया जा सकता है कि सैकड़ों को संख्या में शिक्षार्थी उनके पास अध्ययनार्थ आये हों और यह संख्या उत्तरात्तर बढ़ते-बढ़ते ५०० ही नहीं अपितु इससे कहीं अधिक बढ़ गई हो । इन्द्रभूति के अध्यापन काल का प्रारम्भ उनकी ३० वर्ष की वय से भी माना जाय तो २० वर्ष के अध्यापन काल की सुदाघ अवधि में अध्येता बहुत बड़ी संख्या में स्नातक बनकर निकल चुके होगे और उनकी जगह नवीन छात्रों का प्रवेश भी अवश्यम्भावी रहा होगा। ऐसी स्थिति में अध्येताओं की पूर्ण सख्या ५०० से अधिक होनी चाहिए। ५०० की संख्या केवल नियामत रूप से अध्ययन करने वाले छात्रों की दृष्टि से ही अधिक सगत प्रतीत होती है।" विवाह--अध्ययनोपरान्त इन्द्रभूति का विवाह हुआ या नहीं ? कहाँ हुमा ? किसके साथ हुआ ? इनकी वशपरम्परा चली या नहीं? इस प्रसंग में दिगम्बर और श्वेताम्बर परम्परा के समस्त शास्त्रकार मौन हैं। इन्द्रभूति ५० वर्ष की अवस्था तक गृहवास में रहे, यह सभी को मान्य है, परन्तु, १. २५ सौवां गणधर गौतम निर्वाण महोत्सव स्मारिका, पृ. १४ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003811
Book TitleGautam Ras Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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