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गणधर गौतम : परिशीलन
हिमालय से निःसृत वाणी-गंगा को धारण करने वाले भागीरथ गौतम ! विनय और समर्पण के उज्ज्वलल-समुन्नत शैल - शिखर गौतम ! तीर्थंकर पार्श्वनाथ और तीर्थंकर महावीर की गंगायमुना-धारा के प्रयागराज गौतम ! अद्भुत लब्धि- चमत्कारों के क्षीर सागर गौतम !
गौतम का व्यक्तित्व अनन्त है । जैन- शासन को गौतम का अनुदान ग्रनन्त है । और, अनन्त है सम्पूर्ण मानव जाति को गौतम का सम्प्रदायातीत ज्योतिर्मय अवदान । गौतम के आलेख के बिना भगवान महावीर की धर्म- तीर्थ प्रवर्तन की ज्योति यात्रा का इतिहास अधूरा है । गौतम के उल्लेख के बिना ग्रनन्त श्रुत - सम्पदा पर भगवान महावीर के हस्ताक्षर भी धरे हैं ।"
गु + + अज्ञानान्धकार के, रु+ नाशक = गुरु गौतम श्रमण भगवान महावीर के प्रथम शिष्य / प्रथम गणधर हैं । गण के संस्थापक तीर्थंकर होते हैं और उसके संवाहक गणधर कहलाते हैं । अथवा प्राचार्य मलयगिरि 1 के शब्दों में कहा जाय तो अनुत्तर ज्ञान एवं अनुत्तर दर्शन श्रादि धर्म समूह / गण के धारक कहलाते हैं । ऐसे यथार्थरूप में गणधर पदधारक गौतम का नाम वस्तुतः इन्द्रभूति है । इसका यह नाम भी यथा नाम तथा गुण के अनुरूप ही है; क्योंकि ये इन्द्र के समान ज्ञानादि ऐश्वर्य से सम्पन्न हैं । गौतम तो इनका गोत्र है । किन्तु, जैन समाज की आबाल-वृद्ध जनता सहस्राब्दियों से इन्हें गौतम स्वामी के नाम से ही जानती - पहचानती / पुकारती आई है |
1. आवश्यक सूत्र टीका
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