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प्राकृत भारतो
वज्जरिसहसंघयणो समचउरंसो झसोयरो। तस्स राईमई कन्नं भज्जं जायइ केसवो ।।६।। अह ।सा रायवरकन्ना सुसीला चारुहिणी । सव्वलक्खणसंपन्ना विज्जुसोयामणिप्पभा ॥७॥ अहाह जणओ तीसे वासुदेवं महिड्ढियं । इहागच्छऊ कुमारो जा से कन्नं ३लामि हं ।।८।। सव्वो सहीहि हविओ कयकोउयमंगलो। दिव्वजुयलपरिहिओ आभरणेहिं विभूसिओ ।।९।। मत्तं च गन्धहत्यि वासुदेवस्स जेट्टगं । आरूढो सोहए अहियं सिरे चूडामणी जहा ॥१०।। अह ऊसिएण छत्तेण चामराहि य सोहिए। दसारचक्केण य सो सव्वओ परिवारिओ ।।११।। चउरंगिणीए सेनाए रइयाए जहक्कम । तुरियाण सन्निनाएण दिव्वेण गगणं फुसे ॥१२।। एयारिसाए इड्ढीए जुईए उत्तिमाए य । नियगाओ भवणाओ निज्जाओ वहिपंगवो ।।१३।। अह सो तत्थ निज्जन्तो दिस्स पाणे भयदुए । वाडेहिं पंजरेहिं च सन्निरुद्ध सुदुक्खिए ॥१४॥ जीवियन्तं तु संपत्ते मंसट्टा भक्खियन्वए । पासेत्ता से महापन्ने सारहि इणमब्बवी ॥१५।। कस्स अट्ठा इमे पाणा एए सव्वे सुहेसिणो । वाडेहिं पंजरेहिं च सन्निरुद्धा य अच्छहिं ।।१६।। अह सारही तओ भणइ एए भद्दा उ पाणिणो। तुज्झं विवाहकज्जंमि भोयावेउ बहुं जणं ॥१७।। सोऊण तस्स वयणं बहुपाणिविणासणं । चिन्तेइ से महापन्ने साणुक्कोसे जिएहि उ॥१८॥ जइ मज्झ कारणा एए हम्मन्ति सुबहू जिया। न मे एयं तु निस्सेसं परलोगे भविस्सई ॥१९॥ सो कुण्डलाण जुयलं सुत्तगं च महायसो । आभरणाणि य सव्वाणि सारहिस्स पणामए ॥२०॥
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