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छोलावईकहा
दूरुण्णय-गरुय-पओहराओ कोमल-मणाल-वाहीओ। सइ महुर-वाणियाओ जुवईओ णिण्णयाउ व्व ।।५०॥ अच्छउ ता णिय छेत्तं सेसाइ वि जत्थ पामर-वहिं ।
रक्खिज्जांति मणोहार-गेयारव-हरिय-हरिणाहिं ।।५१।। णयरं:
इय एरिसस्स संदरि मज्झम्मि सुजणवयस्स रमणीयं । णीसेस-सुह-णिवासं णयरं णाम पइठ्ठाणं ॥५२॥ तं च पिए वर-णयरं वण्णिज्जइ जा विहाइ ता रयणी । उद्देसो संखेवेण किं पि वोच्छामि णिसुणेसु ॥५३॥ जत्थ वर-कामिणी-चलण-णेउरारावमणुसरंतेहिं । पडिराविज्जइ मुह-मुक्क-किसलयं रायहंसेहिं ।।५४॥ जण्ण ग्गि-धूम-सामालिय-णहयलालोयणेक्क-रसिएहिं । णच्चिज्जइ ससहर-मणि-सिलायले-घर-मयूरेहिं ।।५५।। ण तरिज्जइ घर-मणि-किरण-जाल-पडिरुद्ध-तिमिर-णियरम्म । अहिसारियाहिं आमुक्क-मंडणाहिं पि संचरिउ ॥५६॥ साणूर-थूहिया-धय-णिरंतरतरिय-तरणि-कर-णियरे । परिसेसियायवत्त गम्मइ संगीय-विलयाहि ।।५७।। सरसावराह-परिकुविय-कामिणी-माण-मोह-लंपिक्कं । कलयंठि-उलं चिय कुणइ जत्थ दोच्चं पियाण सया ॥५८॥ णिय-रय-रहस-किलंत-कामिणी-सेय-जल-लवुप्फुसणा । पिज्जति जत्थ णासंजलीहि उज्जाण-गंधवहा ।।५९।। घर-सिर-पसुत्त-कामिणि-कवोलं-संकंत-ससिकलावलयं । हसे हि अहिलसिज्जइ मुणाल-सद्धालुएहि जहिं ॥६०।। मरहट्टिया पओहर-हलिद्द-परिपिंजरंबुवाहीए । धन्वंति जत्थ गोला-णईए तद्दियसियं पावं ॥६१॥ अह णवर तत्थ दोसो जं गिम्ह-पओस-मल्लियामोओ। अणुणय-सुहाइं माणंसिणीण भोत्त चिय ण देइ ॥६२।। [अह णवर तत्थ दोसो जं फलिह-सिलायलम्मि तरुणीण । मयण वियारा दीसंति बाहिर-ठिएहि वि जणेहिं ।।६२/१॥]
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