SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 13. लोअ-सरूवं [पंचमी विभक्ति] इग्रं लोग्रं विचित्तं अत्थि । अत्थ चेअरणारिण अचेप्रणारिण य दवाणि सन्ति । ताणं सरूवं सया परिवट्टइ। बालो बालअत्तो जुवाणो हवइ । जुवारणो जुवात्तो बुड्ढो हवइ । रणरा रणरत्तो पसुजोणीए गच्छन्ति । पसुणो पसुत्तो रणरजम्मे उप्पन्नन्ति । रुक्खो बीजत्तो उप्पन्नइ । बीजो रुक्खत्तो उप्पन्नइ । फलत्तो रसं उत्पन्नई। पुप्फत्तो सुयंधो पावइ । बारित्तो कमलं गिास्सरइ । रुक्खत्तो जुण्णाणि पत्तारिण पडन्ति । दहित्तो घयं जाइ। दुद्धत्तो दहि हवइ। एगसमये मुक्खो विउसत्तो बीहइ। छत्तो गुरुत्तो पढइ। कवी णिवत्तो प्रायरं गेण्हइ। बहू सासुत्तो धणं मग्गइ। बाला माअत्तो दुद्ध मग्गइ। किन्तु अण्णसमये परिवट्टणं जाअइ। वि उसा मुक्खाहितो बोहन्ति गुरुणा छत्ताहिंतो सिक्खन्ति । णिवा कवीहिन्तो पसंसं गेण्हन्ति । सासूत्रो बहूहिन्तो वत्थाणि मग्गन्ति । मायाप्रो बालाहिन्तो भोप्रणं गेण्हन्ति । साहुणा असाहू हिन्तो भयं करन्ति । कुसला जणा सेवन्ति । सढा सासनं करन्ति । इमं लोग्रस्स विचित्तं सरूवं । जो गाणीजणा विवेएण संसारस्स कज्जाणि करन्ति । अभ्यास (क) पाठ में से पंचमी विभक्ति के रूप छाँटकर उनके अर्थ लिखो। (घ) प्राकृत में अनुवाद करो : वह मुझ से धन लेता है । बालक तुमसे कमल लेता है । तुम उससे डरते हो। साधु राजा से पुस्तक मांगता है । कवि से काव्य उत्पन्न होता है। शिष्य गुरु से पढ़ता है। माला से सुगन्ध आती है। मैं नदी से पानी लाता हूँ। कमल से पानी गिरता है । वह घर से निकलता है । हम नगर से दूर जाते हैं । सास बहू से धन मांगती है । 14 प्राकृत गद्य-सोपान Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003807
Book TitlePrakrit Gadya Sopan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1983
Total Pages214
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy