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12. उदाहरण वाक्य
[चतुर्थी विभक्ति]
अह बालअस्स फलं देमि सो मापान धरणं देइ मोहणो पुप्फ सिहइ बालअस्स मोयगं न रोयइ जणो पुत्तस्स कुज्झइ ते कुलवइणो नमन्ति मुणी बालअस्स उवदिसइ सो गाणस्स पढइ भत्ती मोक्खस्स अस्थि सिसू फलस्स कंदइ
मैं बालक के लिए फल देता हूँ। वह माता के लिए धन देता है । मोहन पुष्प को चाहता है । बालक को लड्डू अच्छा नहीं लगता। पिता पुत्र पर क्रोध करता है । वे कुलपति के लिए नमन करते हैं । मुनि बालक के लिए उपदेश देता है। वह ज्ञान के लिए पढ़ता है। भक्ति मोक्ष के लिए है। बच्चा फल के लिए रोता है ।
अभ्यास
(क) प्राकृत में अनुवाद करो :
यह कमल मेरे लिए है। बह शास्त्र छात्र के लिए है। राजा कवि को धन देता है। वह पिता को नमन करता है। बालक को दुध अच्छा नहीं लगता। राजा कवि पर क्रोध करता है। गुरु शिष्य को उपदेश देता है। बालिका गेंद के लिए रोती है। ज्ञान मोक्ष के लिए है। माता बच्चे को चाहती है।
(ख) नियम याद करें एवं उदाहरण शिक्षक से समझें :
1- देने और नमन करने के अर्थ में चतुर्थी विभक्ति होती है। 2- अच्छा लगने और चाहने के अर्थ में चतुर्थी होती है । 3- क्रोध करने, ईर्ष्या करने आदि के अर्थ में चतुर्थी होती है। 4- जिम प्रयोजन के लिए जो वस्तु या क्रिया होती है, उसमें चतुर्थी होती है । 5- कहने, निवेदन करने, उपदेश देने के साथ चतुर्थी विभक्ति होती है। 6- प्राकृत में चतुर्थी एवं षष्ठी विभक्ति के रूप समान होते हैं ।
प्राकृत गद्य-सोपान
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