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________________ 11. सरोवर [चतुर्थी विभक्ति] इमं गामस्स सरोवरं अस्थि । तत्थ जणा गहरणं करिउं गच्छन्ति । तस्स जलं जणस्स अस्थि । सरोवरे कमलारिण सन्ति । तारिण कमलागि मज्झ सन्ति । सरोवरस्स तडे रुक्खा सन्ति । ताण पुप्फारिण तुज्झ सन्ति । ताण फलारिण तस्स सन्ति । तान बालाअ सरोवरे कि अत्थि ? तत्थ अम्हारण देवमन्दिरं अत्थि । अत्थ तुम्हाण सज्झायसाला अत्थि । ताग बालबाग तत्थ रम्म उववनं अत्थि । तत्थ ते खेलन्ति । सरोवरे हंसा चलन्ति । जलस्स जंतुणा तत्थ निवसन्ति । तत्थ कविणो सुहं हवइ । सो तत्थ कव्वं लिहइ । सरोवरस्स तडे साहुणा वसन्ति । णि वो साहणो भोप्रणं देई । तत्थ गरा कवीण वत्थणि देन्ति । कवी बालान फलं देइ । तत्थ सिसू फलस्स कंदइ। सरोवरस्स जलं कमलस्स अस्थि । तस्स वारि खेत्तस्स अस्थि । खेत्तस्स धन्न घरस्स अस्थि । सरोवर परस्स जीवरणस्स बहुमुल्लं अस्थि । तं गामस्स सोहं अस्थि । अभ्यास (क) पाठ से चतुर्थी विभक्ति के शब्द छांटकर उनका अर्थ लिखो : जरणस्स=लोगों के लिए मज्झ=मेरे लिए ........ ........ .... ... .............. ........... (ख) प्राकृत में अनुवाद करो : ___ यह कमल मेरे लिए है। वह कमल उसके लिए है। ये वस्तुएं उन स्त्रियों के लिए हैं। यह दूध बालक के लिए है। वे कुलपति के लिए नमन करते हैं। हम साधुओं के लिए भोजन देते हैं। वह बालिका के लिए माला देगा। माता युवति के लिए साड़ी देती है। सास बहुओं के लिए उपदेश देती है। यह वस्तु घर के लिए है। वह घर शास्त्रों के लिए है। 12 प्राकृत गद्य-सोपान Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003807
Book TitlePrakrit Gadya Sopan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1983
Total Pages214
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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