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10. उदाहरण वाक्य
तृतीया विभक्ति]
इदं कज्ज छत्रण होइ सोहणो जलेण मुहं पच्छालइ सो दंडेण मारइ सा कंदुएण खेलइ पिना पुत्तेण सह गच्छइ दुज्जणेण सीसेण किं पयोअरणं गुरू कहइ-अलं विवाएण वीरो सहावेण साहू फलं रसेरण महुरं अत्थि जलं बिणा कमलं नत्थि सो कोण बहिरो अत्थि
यह कार्य छात्र के द्वारा होता है। सोहन जल से मुंह धोता है। वह दण्ड से मारता है। वह गेंद से खेलती है। पिता पुत्र के साथ जाता है । दुर्जन शिष्य से क्या प्रयोजन ? गुरु कहता है-झगड़ा मत करो। वीर स्वभाव से साधु है। फल रस से मीठा है। जल के बिना कमल नहीं है । वह कान से बहरा है।
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अभ्यास
(क) प्राकृत में अनुवाद करो :
वह कलम से लिखता है। मैं जल से मुह धोता हूँ। राम दन्ड से खेलता है। गुरु शिष्य के साथ जाता है। दुष्ट पुत्र से क्या लाभ ? पिता कहता है-हंसो मत । माता स्वभाव से सरल है। मोहन पांव से लंगड़ा है। बालक के बिना घर अच्छा नहीं लगता। (ख) नियम याद करें एवं उदाहरण शिक्षक से समझे :
1- सबसे अधिक सहायक साधन में तृतीया विभक्ति होती है। 2- सह, समं आदि के साथ तृतीया होती है । 3- किं, अत्थं, पयोअणं आदि के साथ तृतीया होती है। . 4- अलं (वस, मत) तथा बिना के साथ तृतीया होती है। 5- प्रकृति, स्वभाव और अंगविकार के अर्थ में तृतीया होती है ।
प्राकृत गद्य-सोपान
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