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________________ अभ्यास 1. शब्दार्थ : ईसि = थोड़ा इरिक्त = अतिरिक्त कुलिंगाल = कुल-नाशक ऊईगो = उत्तरी उणि = ऊनी रिणपिहो = अनासक्त अहिमास = सहन करना उहाल = गर्मी सुकई = पुण्यवान अणवेलं = प्रतिक्षण प्रारणा = आज्ञा ताला - तब झडिलो = जटाधारी भोई = गृहस्थ पयोबाह = बादल 2. वस्तुनिष्ठ प्रश्न : सही उत्तर का क्रमांक कोष्ठक में लिखिए : 1. सभी ऋतुओं में धर्म ध्यान में लीन रहते हैं(क) संसारी मनुष्य (ख) विद्वान् (ग) राजा लोग (घ) साधु मुनि 3. लघुत्तरात्मक प्रश्न : प्रश्न का उत्तर एक वाक्य में लिखिए: 1. शीतकाल में सच्चा साधु कहाँ रहता है ? 2. किसका स्मरण करने से साधु को गर्मी का अनुभव नहीं होता? 3. वर्षाऋतु गृहस्थों को क्यों अनुकूल नहीं होती ? 4 निबन्धात्मक प्रश्न : (क) पाठ के आधार पर तीनों ऋतुओं में गृहस्थों की दिनचर्चा का वर्णन करें। (ख) साधु-जीवन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख करें । प्राकृत गद्य-सोगान 11 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003807
Book TitlePrakrit Gadya Sopan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1983
Total Pages214
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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