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अभ्यास
१. शब्दार्थ :
पुरसेटि = नगरसेठ परिक्खरण = परीक्षा समक्खं = सामने दविणजाय = स्वर्णमुद्रा विरूवं = विपरीत तिट्ठा = तृष्णा
महं = मेरा सयरण = स्वजन जोग = योग्य ववहार = व्यापार किलेस = कष्ट वुड्ढत्तरण= बुढ़ापा
तिण्हं = तीन नायरय = नागरिक पत्तेयं = प्रत्येक पिया = पिता मुहाए = व्यर्थ में तइम = तीसरा
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२. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : (क) शब्दरूप मूलशब्द
विभक्ति
लिंग विहिणा मईए दोसेहि
विहवे (ख) संधिवाक्य
विच्छेद
संधिकार्य तेणुत्तं तेण+उत्त
अ+उ=उ समक्खमिमे
समक्खं+इमे चितियमेगेणमम्हमेस चितियं+ एगेणं +अहं +एस अनुस्वार को म अम्हारणमुवरि
... .."+ ... " भोयणाईयं
भोयण+आईयं
समासनाम षष्ठी तत्पुरुष
समासपद गोरवट्ठाणं पुरसेट्ठी किलेसजाले वुड्ढत्तणदोसेहिं भंडारपए
विग्रह गोरवस्स+टाणं ............+ .... किलेसाण+जाले ............. ......... .....................
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प्राकृत काव्य-मंजरी
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