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________________ (घ) क्रियारूप निवसइ जाइ सन्नन्ति (ङ) कृदन्त परिकिन्न किज्जंत विरायमाखं उवसोहिम आगया ३. वस्तुनिष्ठ प्रश्न : सही उत्तर का क्रमांक ४. लघुत्तरात्मक प्रश्न : मूल किया www. ******www १. वह नगर घिरा हुआ था (क) सेना से ( ग ) परकोटों अर्थ युक्त किये जाते हुए सुशोभित शोभित आए हुए प्रश्न का उत्तर एक वाक्य में लिखिए: प्राकृत काव्य-मंजरी Jain Educationa International काल ***** wwwwwwws पहिचान भू० कृ० व० कृ० व० कृ० कोष्ठक में लिखिए : ५ निबन्धात्मक प्रश्न एवं विशदीकरण : भू० कृ० भू० कृ० (ख) महलों से (घ) नहर से २. गुणों के समूह से वह नगर शोभा धारण करता था (क) राजा के नगर की (ग) नृत्यशाला की (ख) (घ) पुरुष ....www मूलक्रिया अनियमित क विराय उवसोह अनियमित १, हस्तिनापुर नगर में कैसे लोग रहते थे ? २. वहाँ के लोगों को सूर्य की गर्मी क्यों नहीं लगती थी ? ३. वह नगर देवताओं के मन को किन चीजों से हरण करता था ? For Personal and Private Use Only राजधानी की देव-नगर की (क) हस्तिनापुर नगर का वर्णन ५-७ पंक्तियों में कीजिए । (ख) वहाँ के लोगों के स्वभाव का वर्णन कीजिए । (ग) गाथा नं ० १३ एवं १४ का अर्थ समझाकर लिखो । वचन wwww www.www ******** प्रत्यय इज्ज + अंत मारण इ+य 1 [ ] ७१ www.jainelibrary.org
SR No.003806
Book TitlePrakrit Kavya Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages204
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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