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________________ प्रस्तावना प्राकृत भाषा एवं साहित्य का पठन-पाठन कुछ वर्षों से विश्वविद्यालयों एवं विद्यालयों में भी प्रारम्भ हुप्रा है। सामाजिक संस्थानों के परीक्षा-बोर्डो में भी प्राकृत का शिक्षण एक प्रमुख विषय है। किंतु प्राकृत सीखने के लिये प्रारम्भिक स्तर पर आधुनिक शैली की प्राकृत की कोई पाठ्यपुस्तक उपलब्ध नहीं थी । विद्वानों ने कुछ पुस्तकें बहुत पहले तैयार की थीं। वे अप्राप्य हो गयी थीं। अत: इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए प्राकृत पद्य एव गद्य की दो पाठ्यपुस्तकें तैयार करने की योजना बनायी गयी। इसी बीच में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर की प्राकृत-पाठ्यक्रम समिति ने कक्षा ६ एवं १० के लिए प्राकृत का एक पाठ्यक्रम तैयार किया । बोर्ड ने उसे राजस्थान के स्कूलों में लागू करने के लिए अपनी अनुशंसा की है । आशा है कि शीघ्र ही प्राकृत विषय माध्यमिक स्तर पर प्रारम्भ किया जा सकेगा। बोर्ड के इस प्राकृत के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए हमने प्राकृत काव्य-मंजरी एवं प्राकृत गद्य-सोपान ये दो पुस्तकें तैयार की हैं। उनमें से प्रथम पुस्तक पाठकों के हाथों में है । प्रस्तुतिकरण • इस प्राकृत काव्य-मंजरी में प्राकृत के प्रतिनिधि पद्याथों में से सामग्री का चयन नबीनता, स्तर की अनुकूलता एवं विषम वैविध्य की दृष्टि से किया गया है । • पद्य के पाठ ऐसे चुने गये हैं, जो कि सरल, सार्वभौमिक, और शिक्षा-परक हैं। उनसे विद्यार्थियों के सदाचरण के निर्माण में मदद मिलती है । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003806
Book TitlePrakrit Kavya Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages204
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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