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पुस्तक के इस प्रकाशन-कार्य में संस्थान के संयुक्त सचिव एवं जैन साहित्य के मनीषी महोपाध्याय श्री विनय सागर जी ने जो प्रयत्न किया है, उसके लिए संस्थान उनका भी प्राभारी है।
पुस्तक के शीघ्र एवं सुन्दर मुद्रण-कार्य हेतु संस्थान ऋषभ मुद्रणालय, उदयपुर के प्रति धन्यवाद ज्ञापन करता है ।
देवेन्द्रराज मेहता
सचिव राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान
जयपुर
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