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________________ ........ अभ्यास १. शब्दार्थ : . यान्ति = समझते हैं ताहं = उनको पलोट्ट युक्त वियड = विस्तीर्स छेय = चतुर व्यक्ति तित्ति =संतोष २. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : (क) शब्दरूप मूल शब्द विभक्ति वचन लिंग कव्वस्स कव्व षष्ठी एकवचन नपु० वायाओ संधि वाक्य विच्छेद संधिकार्य अविरलमिणमो अविरलं+इणमो अनुस्वार को म बन्धमिह ""."" + " समासपद विग्रह समास नाम पाइयकव्वं पाइयस्स+कव्वं षष्ठी तत्पुरुष क्रियारूप मूल किया काल पुरुष वचन यारण न्ति यारण वर्तमान ब०व० __ वच्चामो ३. वस्तुनिष्ठ प्रश्न : सही उत्तर का क्रमांक कोष्ठक में लिखिए : १. कवि ने नमस्कार किया है - (क) किसी इष्ट देवता को (ख) किसी राजा को (ग) प्राकृत-काव्य को (घ) माता-पिता को [ ] ४. लघुत्तरात्मक प्रश्न : प्रश्न का उत्तर एक वाक्य में लिखिए : १. अगाध मधुरता और काव्यतत्व की समृद्धि किस भाषा में है ? २. प्राकृतकाव्य के रस की उपमा कवि ने किन वस्तुओं से दी है ? ५. निबन्धात्मक प्रश्न एवं विशदीकरण : (क) प्राकृत काव्य पर ५-७ पंक्तियाँ लिखिए। (ख) गाथा नं. ६ का अर्थ समझाकर लिखिए। अपुर .... .. प्राकृत काव्य-मंजरी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003806
Book TitlePrakrit Kavya Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages204
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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