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५. गुण - गरिमा
[ सप्तमी विभक्ति ]
सव्वे पारणा चरणगुणा हवन्ति । तेसु गाणं होइ । जहा ब्रम्हम्मि जीव प्रत्थि तहा तुम्हम्मि वि । अचेअरणदव्वेसु पारणा र सन्ति । किन्तु तेसु गुणा हवन्ति । जहा - फले रसं प्रत्थि पुप्फे सुयंधो अत्थि, दहिम्मि घ अस्थि, जले सीयलमा प्रत्थि, अग्गिम्मि उहा प्रत्थि । सरोवरे कमलागि सन्ति । कमलेसु भमरा सन्ति । रुक्खेसु फलाणि सन्ति । नीडे पक्खिणो सन्ति | नईए नावा तरन्ति ।
घरे जगा निवसन्ति । पुरिसेसुखमा वसइ । जुवाणेसु सत्ति होइ । सुजा । तासु सद्धा प्रत्थि बालए सच्च प्रत्थि । छत्ते विनयं प्रत्थि । विउसम्म बुद्धी प्रत्थि । सिसुम्मि अण्णारणं प्रत्थि । किन्तु साहुम्मि ते थि । मात्रा समपरणं प्रत्थि । घेाए दुद्ध प्रत्थि । बहूए गुणा सन्ति । मालाए पुष्पाणि सन्ति । गणे तारश्रा सन्ति । गुणेण बिरगा कि faaf |
(क) हिन्दी में अर्थ लिखो :
शब्दरूप
अर्थ
सु
उनमें
अहम्मि
द
फले
दहिम्मि
नईए
३०
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पहिचान
सर्व.ब.व.
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1
अभ्यास
(ख) सप्तमी के रूप लिखो :
शब्द
ए.व.
अम्ह
अहम्मि
तुम्ह
त
गर
बहू
कवि
बाला
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ब.व.
अहे
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FOR
मालाए
(ग) प्राकृत में अनुवाद करो :
मुझ में शक्ति है । उसमें जीवन है । उस (स्त्री) में लज्जा है । हम सब में क्षम है । बालकों में विनय है । साड़ी में फूल है । वृक्षों पर पक्षी हैं। घरों में बालक
हैं ।
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प्राकृत काव्य - मंजरी
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