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भूतकालिक कृदन्त
संतुट्टो रिणवो धरणं देइ संतुट्ठा नारी लज्जइ संतुटु भित्तं कज्ज करइ
संतुष्ट राजा धन देता है। संतुष्ट नारी लज्जा करती है। संतुष्ट मित्र कार्य करता है ।
तं दिट्ठ
सो गयो
वह गया। सा गमा
बह गयी। मित्तं गग्रं
मित्र गया । स दिट्ठो
वह देखा गया। सा दिट्ठा
वह देखी गयी।
= बह देखा गया।
विष्यकालिक पन्त पढिस्संतो गंथो
पड़ा जाने वाला ग्रन्थ । पढिस्संता गाहा
= पड़ी जाने वाली गाथा । पढिस्संतं पत्तं
पढा जाने वाला पत्र । योग्यतासूचक कृदन्त
(क) कहणीग्रो वित्तान्तो अस्थि
कहने योग्य वृतान्त है। कहणीबा कहा अत्थि
कहने योग्य कथा है। कहणीअं चरित्तं अस्थि
कहने योग्य चरित्र है।
(ख) मुणेअब्बो धम्भो अत्थि
जानने योग्य धर्म है। मुणेअन्वा पाणा अत्थि
जानने योग्य आज्ञा है। मुणेमन्वं जीवणं अत्थि
जानने योग्य जीवन है।
गंथो पढिअन्वो गाहा पढिअन्वा पत्तं पढिअम्बं
ब्रन्थ पढा जाना चाहिए। गाथा पढ़ी जानी चाहिए। पत्र पड़ा जाना चाहिए ।
प्राकृत काव्य-मंजरी
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