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________________ प्रभ्यास (a) क्रियाओं के अर्थ याद करो : भरण = कहना पेस = भेजना कंद = रोना चिठ्ठ = बैठना उठ्ठ = खड़े होना गच्छ = जाना प्रागच्छ= आना बोल्ल = बोलना . सिक्ख = सीखना कोरण = खरीदना उड्ढे = उड़ना तर = तैरना कलह = झगड़ना गज्ज = गर्जना धर = पकड़ना मुंच = छोड़ना चल = चलना नम नमन करना (ख) क्रियारूपों से पूर्ति कीजिए (अकारान्त) : सर्वनाम वर्तमानकाल मू. क्रिया भूतकाल भविष्यकाल आज्ञा पढइ (पढ) पढी पढिहिइ पढउ अहं (चल) गच्छ ) ............ अम्हे (खेल) .... ....। .................. (लिह) ............ तुम्हे (ग) आकारान्त आदि क्रियारूपों से पति करें : सो पाइ (पा) पाही पाहिद पाउ ............ ............ तुमं ........ .. ............ ......... .... (नम) ........... नमं ............... (गा) तत्थ कि ............ .. (हो) (घ) प्राकृत में अनुवाद करो : तुम वहाँ कहते हो। मैं वहाँ भेजूगा। वह क्यों रोता है ? तुम सब यहाँ बैठो। वे सब यहाँ कब आये ? उन्होंने क्या सीखा ? हमने झगड़ा नहीं किया । क्या मै बोल? तुम न रोओ। वह न तैरे। तुम कब सींखोगे ? हम नहीं तैरेंगे । वे कहाँ उड़ेंगे ? वे नमन करेंगे। हम नहीं चलेंगे। बालक पड़ेगा। बालिका गायेगी। प्राकृत काम्य-मंजरी २१ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003806
Book TitlePrakrit Kavya Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages204
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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