________________
विच्छेद
........
..
....
............
....
अभ्यास १. शब्दार्थ :
पुरन्दर = इन्द्र नरनाह = राजा समरंगण = युद्धभूमि पच्चासन्न = समीप वित्थिन = फैला हुआ नाडय = नाटक वियक्खरण = कुशल तो = तब प्रासवार = घुड़सवार बालुय = रेत मंदुरा = अश्वशाला वत्थव्व = निवासी तंबचूड = मुरगा वरह = रस्सी कूवयं = कुआ
पायस = खीर अन्नमा = एक बार मह = मेरे २. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : संधिवाक्य
संधिकार्य केरिसुल्लावा
......"+ ....." तुरुयारूढो
......"+........ राउलमेत्थ
... ..+........ ३. वस्तुनिष्ठ प्रश्न : १. रोहत ने रेत पर चित्र बनाया - (क) पिता का
(ख) राजा का (ग) उज्जैनी नगरी का (घ) सेना का
[ ] ... २. रोहत ने रेत की रस्सी की समस्या हल की -
(क) रस्सी बनाकर (ख) नमूने के लिए रस्सी मंगाकर
(ग) रेत को पीसकर (घ) जूट की रस्सी भेजकर [ ] ४. लघुत्तरात्मक प्रश्न :
१. रोहत ने रेत पर चित्र में क्या-क्या बनाया था ? २. हाथी के मर जाने पर उसकी सूचना राजा को कैसे दी गयी ?
३. राजा ने रोहत के लिए क्या किया ? ५. निबन्धात्मक प्रश्न एवं विशदीकरण :
(क) रोहत और राजा की बातचीत अपने शब्दों में लिखिए। (ख) रोहत द्वारा हल की गयी २-३ समस्याएँ लिखिए। (ग) गाथा नं० १२, २५ एवं २६ का अर्थ समझाकर लिखिए।
प्राकृत काव्य-मंजरी
११५
Jain Educationa international
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org