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________________ लिग ............ अभ्यास १. शब्दार्थ : महप्पा = महान् पडिकल = विरोधो पाणा = आज्ञा चक्कहर = चक्रवर्ती साहण = सेना तुरिय = शीघ्र सयल = समस्त उग्घुट्ट = उद्घोष जुझ = युद्ध चडयर = समूह बल = सेना पेच्छरणय = दर्शनीय चक्खु = आँख भुया = बाँह परिहत्थ = निपुण अवहत्थ = उठा हाथ उन्वत्तकरण= दावपेंच सवडहुत्ता = आमने-सामने २. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : शब्दरूप . मूल शब्द विभक्ति वचन तक्खसिलाए ........ .. नयरस्स बलारणं मुट्टीहि संगामे चंदणं नरा संधिवाक्य विच्छेद संधिकार्य तस्सुरिं ...... ........ सद्द घुट्ट .... + ....." तक्खणुप्पन्नो ...... +........ एक्केक्कमविरोह एक्क +एक्कं+अविरोहं दोरत्थे दोर+अत्थे समासनाम विग्रह समासनाम बल दप्पगवियारणं बलदप्पेण+गव्वियारणं त० तत्पुरुष बलदप्प बलस्स+दप्प ष० त० भुय विक्कमेण भुयस्स+विक्कमेण विसयलोभिल्ला विसयस्स+लोभिल्ला ........ .. .... ... ......... .... .... ........ प्राकृत काव्य-मंजरी For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International
SR No.003806
Book TitlePrakrit Kavya Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages204
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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