________________
पाठ-परिचय :
प्राकृत का सर्व प्रथम चरित काव्य पउमचरियं है । महाकवि विमलसूरि ने ईसा की लगभग २-३ री शताब्दी में इसे लिखा था। इस ग्रन्थ में ऋषभदेव, भरत बाहुबली, रामचन्द्र, हनुमान आदि महापुरुषों का जीवन-चरित वर्णित है। रामकथा पर प्राकृत भाषा में लिखा जाने वाला यह पहला ग्रन्थ है । इस ग्रन्थ का सम्पादन डॉ० हर्मन जेकोबी एवं मुनि पुण्यविजय ने किया है।
पाठ २४ : अहिंसओ बाहुबली
भरत और बाहुबली ऋषभदेव के पुत्र माने गये हैं। दोनों अलग-अलग प्रान्तों के राजा थे। किन्तु भरत ने दिग्विजय करने के उद्देश्य से बाहुबली को भी अपने अधीन करना चाहा । इसके लिए भरत युद्ध करने के लिए बाहुवली के राज्य में पहुँचा । तब अपने राज्य की रक्षा करने के लिए बाहुबली ने भरत का सामना किया । किन्तु युद्ध में हजारों निरपराध व्यक्तियों की हत्या को देखकर बाहुबली ने भरत के सामने यह प्रस्ताव रखा कि हम दोनों आपस में शारीरिक युद्ध करके हारजीत का निर्णय कर लें । बाहुबली का यह प्रस्ताव इस देश में सबसे पहली अहिंसक - संधि थी, जिसने देश- रक्षा के साथ-साथ प्राणी रक्षा भी की ।
૨૬
तक्खसिलाए महप्पा बाहुबली तस्स निच्च - पडिकूलो । भरह - नरिन्दस्स सया न कुरणइ प्रारणा-परणामं सो || १ ||
ग्रह रुट्ठो चक्कहरो तस्सुवरि सयल - साहरण समग्गो । नयरस्स तुरियचवलो विणिग्गो सयल-बल-सहिश्र ॥२॥
पत्तो तक्खसिलपुरं जय-सद्द ु,ग्वुट्ट-कलयलारावो । जुज्झस्स कारणत्थं सन्नद्धो तक्खणं भरहो ||३||
बाहुबली वि महप्पा, भरहनरिन्दं समागमं सोउं । भड-चडयरेण महया, तक्खसिलाओ विणिज्जाओ ||४||
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
प्राकृत काव्य-मंजरी
www.jainelibrary.org