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इस सम्पूर्ण ग्रन्थ (पाँच खंडों) के समुदित
नूतन प्रकाशन के लिये श्री उमरा जैन श्वे० मू० संघ (सूरत) ने विशाल धनराशि का सद्व्यय अपने ज्ञाननिधि में से किया है - एतदर्थ श्रीसंघ धन्यवादाह है।
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