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________________ सन्मतितर्कप्रकरण-काण्ड-२ तथाभूतेनैव प्रतिपत्तिप्रसक्तिः । न च बाह्ये प्रत्यासत्तिनियमाभावान्न तथाभूतेन प्रतिपत्तिरिति वाच्यम् इतरत्रापि प्रत्यासत्तिनियमाभावस्य तुल्यत्वात्, शुक्ले पीताकारदर्शनात्। 'अभ्रान्ते न प्रतिनियमाभाव' इति चेत् ? निराकारेऽपि तमुभ्रान्तत्वादेव प्रतिनियमो भविष्यतीति किमाकारपरिकल्पनया ? । कथमाकारमन्तरेण प्रतिनियम इति न वाच्यम् आकारेऽस्य समानत्वात् । तथाहि- साकारवादिनोऽपि 5 कथं प्रतिनियम इति प्रेरणायाम् ‘प्रतिनियताकारपरिग्रह एव प्रतिनियमः' इति नोत्तरं युक्तम् प्रतिनियताकारपरिग्रहस्यैव प्रतिनियमरूपतयोपन्यस्तस्याद्यापि विचार्यमाणत्वात् । प्रभाव से भासित होता है वैसे विज्ञान की साकारता भी अपने से समान विज्ञानगत आकार (साकारताकार) से ही भासित होगी ? या अपने से समान आकार के विना ही वह भासित होती है ? यदि स्वसदृश आकार से साकारता भासित होती है यह पहला पक्ष मानेंगे तो अनवस्था दोष पीछा करेगा। कारण, 10 उस साकारताआकार की प्रतीति के लिये भी नये आकार की परिकल्पना... इस का अन्त ही नहीं आयेगा। यदि दूसरा पक्ष अंगीकार कर ले कि नील भले नीलाकार के प्रभाव से गृहीत होता है किन्तु साकारता, विना आकार ही गृहीत होती है। - तो निराकारवादी यही कहता है कि जब ज्ञान की साकारता, विना किसी आकार से गृहीत होती है, वैसे विज्ञान भी विना किसी आकार, नीलादि बाह्य अर्थ का ग्रहण क्यों नहीं कर सकता ? 15 * निराकारवाद में प्रत्यासत्तिनियमाभावप्रसंग का उत्तर * साकारवादी :- साकारवाद में ज्ञानगत आकार के आधार पर प्रत्यासत्तिनियम बनता है कि, नीलाकार होने से इस ज्ञान का प्रत्यासन्न यानी सन्निकृष्ट विषय नील ही है, न कि पीत। निराकारवाद में ऐसा नियम नहीं हो सकेगा, अत एव प्रत्यासत्तिनियम न होने से, निराकार ज्ञान से नीलादि का अनुभव असम्भव है। 20 निराकारवादी :- साकारवाद में प्रत्यासत्तिनियम का कथन मिथ्या है, क्योंकि श्वेतशंख में भी पीताकार का दर्शन होता है- यहाँ पीताकार होने पर भी पीत नहीं श्वेत ही प्रत्यासन्न = संनिकृष्ट है। मतलब, साकारवाद में प्रत्यासत्तिनियमाभाव तुल्य है। साकारवादी :- शंख में श्वेत संनिकृष्ट होने पर भी पीताकार का दर्शन होता है वह भ्रान्ति है। अभ्रान्त दर्शन में तो प्रत्यासत्तिनियम का भंग नहीं ही होता। 25 निराकारवादी :- इस का फलितार्थ यही है कि प्रत्यासत्ति का नियम विज्ञान की अभ्रान्तता के बल पर ही हो सकता है न कि आकार के आधार पर। फिर प्रत्यासत्तिनियम के लिये आकार-परिकल्पना की जरूर क्या है ? साकारवादी :- अभ्रान्तत्व होने पर भी आकार के विना 'यह दर्शन नील से ही जनित है' इत्यादि प्रतिनियम नहीं हो सकता। वह तो साकारवाद में ही हो सकता है। निराकारवादी :- ऐसा मत बोलो- क्योंकि साकारवाद में भी यह समस्या समान है। कैसे यह देखिये- साकारवाद में जब ऐसा प्रश्न उठेगा कि उक्त प्रतिनियम कैसे संगत होगा ? - तो आप उत्तर में कहेंगे कि 'नियत नील या पीत आदि आकार को धारण करना' इसी का 'प्रतिनियम' यह Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003804
Book TitleSanmati Tark Prakaran Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2010
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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