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________________ पृष्ठ का न २० विषय निर्देश पृष्ठ विषय विषय ३५८ ...अन्यत्रदर्शन का शेषवत् में अन्तर्भाव शंका | ३७५ ...पक्षधर्मताविरुद्ध कुमारीलवचननिषेध - समाधान ३७६ ...पक्षधर्मता के बल से धूम में अग्निकार्यत्व ३५९ ...अन्यत्रदर्शन की पदार्थरूप से अघटमानता का अव्यभिचार ३६० ...रूप से स्पर्शानुमान सामान्यतोदृष्ट | ३७६ ...सर्वोपसंहारेण व्याप्तिग्रह से अनुमान तथा ३६० ...वत्-प्रत्यय का तुल्यता अर्थ ले कर पूर्ववत् पक्षधर्मता की व्याख्या ३७७ ...अनुपलब्धि पक्षधर्म क्यों नहीं ? ३६१ ...शेषवत् यानी परिशेषानुमान द्वारा आत्मसिद्धि | ३७८ ...पूर्ववत्-शेषवत् आदि का निरसन ३६२ ...सामान्यतोदृष्ट और पूर्ववत् का तफावत | ३७९ ...कादाचित्कत्वहेतुक शब्द में एकद्रव्यत्वसिद्धि ३६३ ...इच्छादि में पारतन्त्र्य का सामान्यतोदृष्ट अनुमान | ३८० ...शब्द में कार्यत्वादिसिद्धि अतः एक-द्रव्यत्व ३६४ ...पूर्ववत्-शेषवत्-सामान्यतोदृष्ट का एक ही असिद्ध - बौद्ध उदाहरण ३८१ ...सांख्यकल्पित पूर्ववत् आदि अनुमान का ३६५ ...अनुमानसूत्र की तीन व्याख्या पर विमर्श | निषेध - बौद्ध ३६६ ...नैयायिकप्रदर्शितानुमानलक्षणस्य प्रतिषेधः ३८२ ...शाबरभाष्यानुमानलक्षणसमीक्षा ३६६ ...प्रथमव्याख्यान सर्वदोष मुक्त ३८२ ...शाबरभाष्योक्त ज्ञातसम्बन्धमूलक अनुमान३६६ ...प्रथमव्याख्यान असंगत - बौद्ध व्याख्या की समीक्षा ३६७ ...मेघ के (= कारण के) एकधर्म से अपरधर्म ३८३ ...प्रमाणसंख्या - तत्र सौगतमतम् सिद्धि में दोष ३६८ ... उन्नतत्वादिविशेषज्ञानी को भाविवृष्टि अनुमान ३८३ ...प्रत्यक्ष/अनुमान दो ही प्रमाण - बौद्ध असंगत ३८४ ...अप्रत्यक्षप्रमाण का अनुमानान्तर्भावक ३६८ ...प्रक्रियावर्णन एवं अकार्य-कारण भूत लिंग की अनुमानप्रयोग निःसारता ३८४ ...प्रमाणान्तर के अभावसाधक निश्चय के असंभव ३६९ ...तादात्म्य तदुत्पत्ति के विना अव्यभिचार नहीं का निरसन ३७० ...पार्थिवत्व हेतु से लोहलेख्यत्व अनुमान की ३८५ ...प्रत्यक्ष परोक्षभिन्न अर्थ प्रमेय नहीं प्रसक्ति ३८५ ...प्रत्यक्ष-प्रमाण से प्रमेयान्तराभाव की सिद्धि ३७१ ...सकलोपसंहारेण अविनाभाव का ग्रहण अशक्य ३८७...मीमांसकस्य शाब्दप्रमाणान्तरस्थापना ३७२ ...कार्य-कारणभावग्राहक विशिष्ट प्रत्यक्ष से | ३८७ ...प्रत्यक्षानुमानभिन्न शब्दप्रमाण सिद्धि - मीमांसक व्याप्तिग्रह ३८८ ...शब्द के द्वारा सामान्यादि की अर्थ धर्मी में ३७२ ...अनुमानप्रामाण्य एवं पक्षधर्मता के लोप की सिद्धि का व्यर्थ प्रयास शका ३८९ ...शाब्द में अनुमानलक्षणाभाव - मीमांसक ३७३ ...सकलोपसंहारेण व्याप्तिग्रहः अनुमानप्रामाण्यं | ३८९ ...उपमानं प्रमाणान्तरं - मीमांसकः ३८९ ...उपमान एक स्वतन्त्रप्रमाण - मीमांसक ३७३ ...सकलोपसंहारेण व्याप्तिग्रह और अनुमानप्रामाण्य | ३९० ...उपमान के प्रामाण्य का समर्थन – मीमांसक ३७४ ...कुमारीलमतनिरसन के साथ पक्षधर्मत्वसमर्थन | ३९१ ...प्रत्यक्ष/अनुमान में उपमान का अन्तर्भाव नहीं च Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003804
Book TitleSanmati Tark Prakaran Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2010
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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