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________________ विषय निर्देश पृष्ठ विषय पृष्ठ विषय ३२६ ...मति-स्मृति आदि शब्द मति के पर्यायशब्द – |३४२ ...अनुमानलक्षण अव्यभिचारपदानुवृत्ति सैद्धान्तिक पक्ष ३४२ ...व्यवसायात्मक पद की अनुवृत्ति ३२७...चार्वाकस्य प्रत्यक्षतरप्रमाण निषेधवादः ३४२ ...अव्यपदेश्य - पद की अनुवृत्ति ३२७ ...गृहीतग्राहि ज्ञान भी प्रमाण ३४३ ...उपमान में अतिव्याप्ति और अनुमानादिपूर्वकों ३२७ ...चार्वाक की ओर से प्रत्यक्षातिरिक्तप्रमाण का में अव्याप्ति प्रतिक्षेप ३४३ ...अतिव्याप्ति-अव्याप्ति का निवारण ३२८...चार्वाकवादप्रतिविधानम् ३४४ ...सम्बन्धप्रत्यक्षविनाश के बाद अनुमिति ३२९ ...भ्रान्त अनुमान भी व्याप्ति के बल से प्रमाण प्रत्यक्षपूर्वक कैसे ? – उत्तर ३३० ...प्रत्यक्ष की तरह अनुमानप्रामाण्य की संगति | ३४५ ...पूर्व-शब्द अध्याहार विना प्रत्यक्षफल में ३३१...चार्वाक के लिंगसिद्धिकारक प्रमाणविषयक प्रश्न अनुमानत्वप्रवेश का उत्तर ३४६ ...स्मृति आदि भी अनुमानप्रमाण - वात्स्यायन ३३२ ...क्षणिकत्वनिश्चय की सिद्धि से अनुमानव्यर्थता | ३४७ ...अन्य विद्वानों की ओर से अनुमानसूत्र की - चार्वाक व्याख्या ३३२ ...क्षणिकत्वनिश्चय न होने से अनुमान सार्थक | ३४८ ...अबाधितत्व और असत्प्रतिपक्षत्व का समुच्चय - बौद्ध ३४८ ... त्रिविध' पद की अन्य प्रकार से व्याख्या - ३३३ ...विकल्प द्वारा व्याप्तिग्रह में निर्विकल्प समर्थ | अन्य मत ३३३ ...चार्वाक की पूर्वोक्त विविध युक्तियों का निरसन | ३४९ ...कारण से कार्य यानी योग्यता का अनुमान ३३४ ...तीन से अधिक हेतु का निषेध कैसे? - आशंका | ३५० ...अनुमानप्रवृत्तिविरोध मिथ्या- उत्तर ३३५ ...चतुर्विध अनुपलब्धि और उस का अयोग | ३५१ ...अनुमान के उच्छेद की विपदा का स्पष्टीकरण ३३६ ...हेतु के तीन ही प्रकार - इस कथन की स्पष्टता | ३५२ ...कारणदर्शनकाल में कार्योत्पत्ति प्रत्यक्षा३३७ ...अत्यन्त असत् का विरोध कैसे - आक्षेप का| पत्तिनिरसन । प्रतिकार ३५३ ...कार्योत्पत्तिकालीनप्रत्यक्षापत्ति का निरसन ३३७ ...तीन से अधिक अतिरिक्त अर्थ हेत्वाभास होने | ३५४ ...कारण से कार्य का नहीं, योग्यता का अनुमानमें प्रमाणपृच्छा असंगत ३३८...रस से रूप के अनुमान में समानकारण-|३५४ ...धर्मि-धर्मभाव बुद्धिकल्पित होने की आशंका जन्यत्वमूलक अविनाभाव - उत्तर ३३९ ... तीन प्रकार का हेतु' इस कारिकांश के अर्थ | ३५४ ...अभेदावस्था में भी स्वभावहेतु की संगति का का दूसरा प्रकार प्रयास व्यर्थ ३४० ...नैयायिक प्रदर्शित अनुमानलक्षण की | ३५५ ...विकल्प द्वारा कल्पित हेतु से अनुमान अनुचित समालोचना ३५६ ...पूर्ववत् अनुमान के विवरण का निष्कर्ष ३४० ...लक्षणगत 'तत्पूर्वक' पद की विविध व्याख्या ३५६ ...शेषवत् अनुमान का ऊहापोह ३४१ ...संस्कार में लक्षण की अतिव्याप्ति की आशंका ३५७...उभयतटव्यापिता वृष्टि का कार्य - स्पष्टता -निवारण | ३५८ ...सामान्यतोदृष्ट अनुमान प्रकार का विवरण Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003804
Book TitleSanmati Tark Prakaran Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2010
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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