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________________ सन्मतितर्कप्रकरण-काण्ड-१ न च प्रकारान्तराभावनिश्चयो दृश्यानुपलम्भात् । ततो विशिष्टदेशादावेवाभावनिश्चयप्रसक्तेः न सर्वत्र सर्वदा वा । नाप्यदृश्यानुपलम्भात् तद(?)भावनिश्चयः, तस्य संदेहहेतुत्वात्। तस्मात् नित्येषु क्रमाऽक्रम()ऽयोगेऽपि सत्त्वाऽनिवृत्तेः कथं सत्त्वस्य क्षणिक(स्व)भावत्वं प्रमाणतः सिद्धम् येनाऽन्वय-व्यतिरेकनिश्चयो भवेत ? यद्यपि क्रमाऽक्रमाभ्यां सत्त्वस्य व्याप्तिः प्रकारान्तराभावात् सिद्धा तथापि क्रमाऽक्रमाऽयोगो न नित्येषु 5 प्रत्यक्षादिना सिद्धः, नित्यानामतीन्द्रियत्वात् । तदसिद्धौ न तेषु सत्त्वनिवृत्तिसिद्धिः, तदसिद्धौ च न सत्त्वस्य क्षणिकस्वभावत्वसिद्धिः । किञ्च, सत्त्वात् क्रम-योगपद्यानुमानं स्यात् ताभ्यां तस्य व्याप्तत्वाद् न तु क्षणिकत्वानुमानम् तत्र क्रमकर्तृत्वाऽसंभवात् इति । अत्र केचित् प्रतिविदधति- प्रत्यक्षसिद्धे एव क्रम-योगपद्ये। तथाहि- सहभावो भावानां योगपद्यम् क्रमाऽक्रमान्यतर के साथ सत्त्व की व्याप्ति की सिद्धि कठिन है, क्योंकि संभावना की जा सकती है कि 10 क्रम या अक्रम के विना भी अर्थक्रिया निष्पन्न हो। यदि इन दोनों के विना कोई तृतीयप्रकार नहीं होने से व्याप्ति मान ली जाय तो यह समुचित नहीं, क्यों कि तृतीयप्रकार के अभाव का निश्चय कैसे होगा ? यदि दृश्य होने पर भी अनुपलब्धि के द्वारा निश्चय करेंगे तो जिस देश-काल में उस की अनुपलब्धि होगी वहाँ ही तृतीयप्रकार का अभाव निश्चित होगा, सर्वकाल-सर्वदेश में तो नहीं होगा। अदृश्य होने पर भी अनुपलखि ब्ध से तृतीयप्रकाराभाव का निश्चय करेंगे तो यह निश्चय सदा के लिए संदेहहेतु बना रहेगा कि 15 तृतीयप्रकाराभाव अदृश्य होने से अनुपलब्ध रहता है या उस का अस्तित्व न होने से ? इस चर्चा का सार यही निकलेगा कि नित्यपदार्थों में क्रमाक्रम उभय न घटने पर भी सत्त्व का अभाव नहीं होता। तो आपने कैसे बोल दिया कि 'सत्त्व का क्षणिकतास्वभाव प्रमाणसिद्ध है' जिसके आधार से अन्वय-व्यतिरेक का निश्चय किया जा सके ? [नित्य पदार्थ में क्रमाक्रमयोगाभाव संदेहग्रस्त ] 20 अरे मान लिया कि क्रमाऽक्रम से भिन्न तृतीय प्रकार नहीं है अतः क्रमाक्रम के साथ सत्त्व की व्याप्ति भी सिद्ध होना मान ले, फिर भी नित्य पदार्थों में क्रमाक्रम का विरह किस प्रमाण से सिद्ध करेंगे ? नित्य वस्तु में तो वह अतीन्द्रिय है इस लिये प्रत्यक्षादि से उस की सिद्धि की आशा रख नहीं सकते। क्रमअक्रम सिद्ध हुये बिना नित्य भाव से सत्त्व की व्यावृत्ति भी सिद्ध नहीं होगी। नित्य से सत्त्वव्यावृत्ति की असिद्धि के रहते हुए सत्त्व में क्षणिकत्वस्वभाव की सिद्धि दुरुह रहेगी। 25 यह भी ध्यान में लिजिये कि सत्त्व से तो सीर्फ क्रमाक्रम की ही अनुमानतः सिद्धि होगी क्योंकि उन के साथ उस की व्याप्ति है, क्षणिकत्वानुमान सत्त्व से सिद्ध नहीं हो सकता क्योंकि क्षणिक भाव में क्रमिककर्तृत्व का सम्भव ही नहीं। तो क्रमिककर्तृत्व के न रहने से क्षणिकता के साथ सत्त्व की व्याप्ति के न होने पर सत्त्व से क्षणिकता का अनुमान कैसे आकार लेगा ? – क्षणिकत्वविरोधी पक्ष (प्रश्न) निरूपण सम्पूर्ण। 30 [क्षणिकवादी का उत्तर - क्रम की व्याख्या एवं समीक्षा ] ____ अक्षणिक पदार्थवादी के बयान की अब क्षणिकवादी की ओर से प्रतिक्रिया प्रस्तुत की जाती है - यह जो अभी आपने कहा कि क्रमाक्रमयोग (नित्यों में) प्रत्यक्षादि से सिद्ध नहीं है - हम कहते हैं कि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003803
Book TitleSanmati Tark Prakaran Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2010
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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