SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आउयं वेयणिज्जं च च्छित्ता भवति नीरए || [३४] एवं अभिसमागम्म, चित्तमादाय आउसो !। सेणिसोधिमुवागम्म आतसोधिमुवेहइ ।। त्ति बेमि || • पंचमा दसा सम्मत्ता . दसा-६ ० छट्ठी दसा - उवासग पडिमा ० [३५] सुयं से आउसं तेणं भगवया एवमक्खातं- इह खलु थेरेहिं भगवंतेहिं एक्कारस उवासगपडिमाओ पन्नत्ताओ, कयराओ खलु ताओ थेरेहिं भगवंतेहिं एक्कारस उवासगपडिमाओ पन्नत्ताओ ? इमाओ खलु ताओ थेरेहिं भगवंतेहिं एक्कारस उवासगपडिमाओ पन्नत्ताओ तं जहा अकिरियावादी यावि भवति-नाहियवादी नाहियपन्ने नाहियदिट्ठी नो सम्मावादी नो नितियावादी नोसंति-परलोगवादी नत्थि इहलोए नत्थि परलोए नत्थि माया नत्थि पिया नत्थि अरहंता नत्थि चक्कवट्टी नत्थि बलदेवा नत्थि वासुदेवा नत्थि नरया नत्थि नेरइया नत्थि सुक्कडदुक्कडाणं फलवित्तिविसेसो नो सुचिण्णा कम्मा सुचिण्णफला भवंति नो दुचिण्णा कम्मा दुचिण्णाफला भवंति अफले कल्लाणपावए नो पच्चायंति जीवा नत्थि निरयादि नत्थि सिद्धी, से एवंवादी एवंपन्ने एवंदिट्ठी एवंछंदरागमभिनिविटे यावि भवति, से य भवति महिच्छे महारंभे महापरिग्गहे अहम्मिए अहम्माणुए अहम्मसेवी अहम्मिढे अधम्मक्खाई अधम्मरागी अधम्मपलोई अधम्मजीवी अधम्मपलज्जणे अधम्मसीलसमुदाचारे अधम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणे विहरइ हण छिंद भिंद वेकत्तए अंतके लोहियपाणी पावो चंडो रुद्दो खुद्दो साहस्सिओ उक्कंचण-वंचण-माया-निअडी-कवड-कूड-साति-संपयोगबहुले दुस्सीले दुपरिचए दुरणुणेए दुव्वए दुप्पडियानंदे निस्सीले निग्गुणे निम्मेरे निपच्चक्खाणपोसहोववासे असाहू सव्वाओ पाणाइवायाओ अप्पडिविरए जावज्जीवाए एवं जाव सव्वाओ कोहाओ सव्वाओ माणाओ सव्वाओ मायाओ सव्वाओ लोभाओ सव्वाओ पेज्जाओ दोसाओ कलहाओ अब्भक्खाणाओ पेसुन्न-परपरिवादाओ अरतिरति-मायामोसाओ मिच्छादंसणसल्लाओ अपडिविरए जावज्जीवाए, सव्वाओ कसाय दंड कट्ठ ण्हाणुम्मद्दणा-अब्भंगण-वण्णग-विलेवण-सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधमल्लालंकाराओ अपडिविरए जावज्जीवाए सव्वाओ सगड-रह-जाण-जुग्ग-गिल्लि-थिल्लि-सीया-संदमाणियसयनासन-जाण-वाहण-भोयण-पवित्थरविधीओ अपडिविरए जावज्जीवाए असमिक्खियकारी, सव्वाओ आसहत्थि-गो-महिस-गवेलय-दासी-दास-कम्मकरपरुसाओ अपडिविरए जावज्जीवाए, हिरण्ण-सुवण्ण-धन धन्नमणि-मोत्तिय-संख-सिलप्पवालाओ अपडिविरिए जावज्जीवाए, सव्वाओ कूडतुल कूडमाणाओ अपडिविरए, सव्वाओ आरंभ-समारंभाओ अपडिविरए जावज्जीवाए, सव्वाओ करण-कारावणाओ अपडिविरए जावज्जीवाए, सव्वाओ पयण-पयावणाओ अपडिविरए जावज्जीवाए, सव्वाओ कट्टण-पिट्टण-तज्जण-ताडन-वह-बंध परिकिलेसाओ अपडिविरए जावज्जीवाए, जे यावण्णे तहप्पगारा सावज्जा अबोधिआ कम्मंता परपाणपरितावणकडा कज्जंति ततो वि अ णं अपडिविरए जावज्जीवाए | दीपरत्नसागर संशोधितः] [8] [ ३७-दसासुयक्खंधं ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003773
Book TitleAgam 37 Dasasuyakkhandam Chauttham Cheyasuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages27
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 37, & agam_dashashrutaskandh
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy