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________________ उद्धरेणूओ सा एगा तसरेणू अट्ठ तसरेणूओ सा एगा रहरेणू अट्ठ रहरेणूओ से एगे देवकुरूत्तरकुराणं मणुस्साणं वालग्गे अट्ट हेमवय-एरण्णवयाणं मणुस्साणं वालग्गा से एगे हरिवास-रम्मयवासाणं मणुस्साणं वालग्गे अठ्ठ हेमवय-एरण्णवयाणं मणुस्साणं वालग्गा से एगे पुव्वविदेह-अवरविदेहाणं मणुस्साणं वालग्गे अट्ठ पुव्वविदेह-अवरविदेहाणं मणुस्साणं वालग्गा सा एगा लिक्खा अट्ट लिक्खाओओ सा एगा जूया अट्ठ जूयाओ से एगे जवमज्झे अट्ठ अवमज्झा से एगे अंगुले एतेणं अंगुलप्पमाणेणं छ अंगुलाई पाओ बारस अंगुलाइ वितत्थी चळवीसं अंगुलाइ रयणी अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी छण्णउइं अंगुलाई से एगे अक्खेड़ वा दंडेइ वा धणूइ वा जुगेइ वा मुसलेइ वा नालिआइ वा एतेणं धणुप्पमाणेणं दो धणुसहस्साई गाउयं चत्तारि गाउयाइं जोयणं एएणं जोयणप्पमाणेणं जे पल्ले जोयणं आयाम-विक्खंभेणं वक्खारो-२ जोयणं उड्ढं उच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं से णं पल्ले एगाहिय-बेहिय-तेहिय उक्कोसेणं सत्तरतपरूढाणं संमढे सण्णिचिए भरिए वासग्ग कोडीणं ते णं वालग्गा नो कुच्छेज्जा नो परिविद्धंसेज्जा नो अग्गी डहेज्जा नो वाए हरेज्जा नो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा तओ णं वाससए-वाससए एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीए निल्लेवे निट्ठिए भवइ से तं पलिओवमे | [३०] एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज्जा दसगुणिआ । तं सागरोवमस्स उ एगस्स भवे परीमाणं । _[३१] एएणं सागरोवमप्पमाणेणं चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमसुसमा तिण्णि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमा दो सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमदुस्समा एगा सागरोवमकोडाकोडीओ बायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिया कालो दुस्समसुसमा एक्कवीसं वाससहस्साई कालो दुस्समा एक्कवीसं वाससहस्साइं कालो दुस्समदुस्समा पुणरवि उस्सप्पिणीए एक्कवीसं वाससहस्साई कालो दुस्समदुस्समा एवं पडिलोमं नेयव्वं जाव चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमसुसमा दसगारोवकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणी दससागरोवमकोडाकोडीओ कालोउस्सप्पिणी वीसंसागरोवकोडाकोडीओ ओस० उस्सप्पिणी। [३२] जंबुद्दीवे णं भंते दीवे भरहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए उत्तमकट्ठपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे होत्था गोयमा बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था से जहानामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव नाणाविधपंचवण्णेहिं तणेहि य मणीहि य उवसोभिए तं जहा- किण्हेहिं जाव सुक्किलेहिं एवं वण्णो गंधो फासो सद्दो य तणाण य भाणिअव्वो जाव तत्थ णं बहवे मणुस्सा मणुस्सीओ य आसयंति सयंति जाव ललंति तीसे णं समाए भरहे वासे बहव उद्दाला कोद्दाला मोद्दाला कयमाला नट्टमाला दंतमाला नागमाला सिंगमाला संखमाला सेयंमाला नामं दुमगणा पन्नत्ता कुस-विकुस-विसुद्धरुक्खमूला पत्तेहिं य पुप्फेहि य फलेहि य उच्छण-पडिच्छण्णा सिरीए अईव-अईव उवसोभेमाणा चिट्ठति तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ-तत्थ बहवे सेरुतालवणाई हेरुतालवणाई भेरुतालवणाई मेरुतालवणाइं पयालवणाइं सालवणाई सरलवणाइं सत्तिवण्णवणाइं पूअफलिवणाई खज्जूरीवणाइं नालिएरीवणाइं कुस-विकुस-विसुद्धरुक्खमूलाइं जाव चिट्ठति तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थतत्थ बहवे सेरियागुम्मा नोमालियागुम्मा कोरंटयगुम्मा बंधुजीवगगुम्मा मणोज्जगुम्मा बीयगुम्मा बाणगुम्मा कणइरगुम्मा कुज्जायगुम् संदुवारगुम्मा जातिगुम्मा मोग्गरगुम्मा जूहियागुम्मा मल्लियागुम्मा वासंतियगुम्मा वत्थुलगुम्मा कत्थुलगुम्मा सेवालगुम्मा अगत्थिगुम्मा मगदंतियागुम्मा चंपकगुम्मा [दीपरत्नसागर संशोधितः] [१८-जंबूद्दीवपन्नत्ति] [9]
SR No.003735
Book TitleAgam 18 Jambudivpannatti Sattam Uvvangsuttam Mulam PDF File Without Correction
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2013
Total Pages122
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 18, & agam_jambudwipapragnapti
File Size2 MB
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