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________________ निप्पट्ठ-पसिणवागरणे करेंति सक्का पणाइं अज्जो समणेहिं निग्गंथेहि द्वालसंगं गणिपिडगं अहिज्जमाणेहिं अण्णउत्थिया अडेहिं य जाव निप्पट्ठ-पसिणवागरणा करेत्तए । तए णं ते समणा निग्गंथा य निग्गंथीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स तहा त्ति एयमढे विगएणं पडिस्णेति । तए णं से कुंडकोलिए समणोवासए समण भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता पसिणाई पुच्छड़ पुच्छित्ता अट्ठमादियइ अट्ठमादियत्ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए, सामी बहिया जणवयविहारं विहरइ । [४०] तए णं तस्स कुंडकोलियस्स बहूहि सील जाव भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छराई वीइक्कंताई पन्नरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स अन्नदा कदाइ जहा कामदेवो तहा जेट्ठपत्तं ठवेत्ता तहा पोसहसालाए जाव धम्मपन्नत्तिं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ एवं एक्कारस उवासगपडिमाओ तहेव जाव सोहम्मे कप्पे अरुणज्झए विमाणे जाव अंते काहिइ || निक्खेवो. • छई अज्झयणं समत्तं . • मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च छठें अज्झयणं समत्तं . । सत्तमं अज्झयणं-सदालपुत्ते ।। [४१] सत्तमस्स उक्खेवो. अज्झयणं-७ पोलासपुर नाम नयरं, सहस्संबवणं उज्जाणं, जियसत्तू राया, तत्थ णं पोलासपुरे नयरे सद्दालपुत्ते नामं कुंभकारे आजीविओवासए परिवसइ, आजीवियसयमयंसि लद्धढे गहियढे पच्छियढे विणिच्छियढे अभिगयढे अद्विमिंजपेमाणरागरत्ते य अयमाउसो! आजीवियसमए अढे अयं परमटे सेसे अणढे त्ति आजीवियसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तस्स णं सद्दालपत्तस्स आजीविओवासगस्स एक्का हिरण्णकोडी निहाणपउताओ एक्का वढिपउत्ताओ एक्का पवित्थरपउत्ताओ एक्के वए दसगोसाहस्सिएणं वएणं । तस्स णं सद्दालपुत्तस्स आजीविओवास- गस्स अग्गिमित्ता नामं भारिया होत्था । तस्स णं सद्दालपत्तस्स आजीविओवासगस्स पोलासपुरस्स नगरस्स बहिया पंच कुंभकारावणसया होत्था । तस्स णं बहवे परिसा दिण्णभइ-भत्तवेयणा कल्लाकल्लिं बहवे करए य वारए य पिहडए य घडए य अद्धघडए य कलसए य अलिंजरए य जंबूलए य उट्ठियाओ य करेंति, अण्णे य से बहवे पुरिसा दिण्ण-भइ-भत्तवेयणा कल्लाकल्लिं तेहिं बहुहं करएहि य जाव उट्टियाहि य रायमग्गंसि वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति । [४२] तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए अण्णदा कदाइ पच्चावरण्हकालसमयंससि जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता गोसालस्स मंखलिपत्तस्स अंतियं धम्मपन्नत्तिं उवसं-पज्जित्ता णं विहरइ ।। तए णं तस्स सद्दालपत्तस्स आजीविओवासगस्स एक्के देवे अंतियं पाउब्भवित्था, तए णं से देवे अंतलिक्खपडिवण्णे सखिंखिणाई जाव परिहिए सद्दालपत्तं आजिविओवासयं एवं वयासी [मुनि दीपरत्नसागर संशोधितः] [21] [७-उवासग दसाओ]
SR No.003713
Book TitleAgam 07 Uvasagdasao Sattam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages34
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 07, & agam_upasakdasha
File Size2 MB
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