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सतं-२, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-१०
एगपदेसूणे वि य णं भंते! धम्मत्थिकाए 'धम्मत्थिकाए'त्ति वत्तव्वं सिया? णो इणढे समठे।
से केणठेणं भंते! एवं वच्चइ एगे धम्मत्थिकायपदेसे नो धम्मत्थिकाए ति वत्तव्वं सिया जाव एगपदेसूणे वि य णं धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकाए ति वत्तव्वं सिया?'| से नूणं गोयमा! खंडे चक्के? सगले चक्के? भगवं! नो खंडे चक्के, सगले चक्के। एवं छत्ते चम्मे दंडे दूसे आयुहे मोयए। से तेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-एगे धम्मत्थिकायपदेसे नो धम्मत्थिकाए ति वत्तव्वं सिया जाव एगपदेसूणे वि य णं धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकाए ति वत्तव्वं सिया।
से किं खाई णं भंते! धम्मत्थिकाए ति वत्तव्वं सिया? गोयमा! असंखेज्जा धम्मत्थिकायपदेसा ते सव्वे कसिणा पडिपुण्णा निरवसेसा एगग्गहणगहिया, एस णं गोयमा! धम्मत्थिकाए ति वत्तव्वं सिया।
एवं अहम्मत्थिकाए वि।
आगासत्थिकाय-जीवत्थिकाय-पोग्गलत्थिकाया वि एवं चेव। नवरं पदेसा अणंता भाणियव्वा। सेसं तं चेव।
[१४४] जीवे णं भंते! सउट्ठाणे सकम्मे सबले सवीरिए सपरिसक्कारपरक्कमे आयभावेणं जीवभावं उवदंसेतीति वत्तव्वं सिया? हंता, गोयमा! जीवे णं सउट्ठाणे जाव उवदंसेतीति वत्तव्वं सिया।
से केणठेणं जाव वत्तव्वं सिया? गोयमा! जीवे णं अणंताणं आभिणिबोहियनाणपज्जवाणं एवं सुतनाणपज्जवाणं ओहिनाणपज्जवाणं मणपज्जवनाणपज्जवाणं केवलनाणपज्जवाणं मतिअण्णाणपज्जवाणं सुतअण्णाणपज्जवाणं विभंगणाणपज्जवाणं चक्खुदंसणपज्जवाणं अचक्खुदंसणपज्जवाणं ओहिदंसणपज्जवाणं केवलदंसणपज्जवाणं उवओगं गच्छति, उवयोगलक्खणे णं जीवे। से तेणढेणं एवं वुच्चइगोयमा! जीवे णं सउट्ठाणे जाव वत्तव्वं सिया।
[१४५] कतिविहे णं भंते! आकासे पण्णते? गोयमा! दुविहे आगासे पण्णते, तं जहा-लोयाकासे य अलोयागासे य।
लोयाकासे णं भंते! किं जीवा जीवदेसा जीवपदेसा, अजीवा अजीवदेसा अजीवपएसा? गोयमा! जीवा वि जीवदेसा वि जीवपदेसा वि, अजीवा वि अजीवदेसा वि अजीवपदेसा वि। जे जीवा ते नियमा एगिंदिया बेइंदिया तेइंदिया चरिंदिया पंचेंदिया अणिंदिया। जे जीवदेसा ते नियमा एगिंदियदेसा जाव अणिंदियदेसा। जे जीवपदेसा ते नियमा एगिंदियपदेसा जाव अणिंदियपदेसा। जे अजीवा ते विधा पण्णता, तं जहा-रूवी य अरूवी य। जे रूवी ते चठविधा पण्णत्ता, तं जहा-खंधा खंधदेसा खंदपदेसा परमाणुपोग्गला। जे अरूवी ते पंचविधा पण्णत्ता, तं जहा-धम्मत्थिकाए, नो धम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मत्थि कायस्स पदेसा, अधम्मत्थिकाए, नो अधम्मत्थिकायस्स देसे, अधम्मत्थिकायस्स पदेसा, अद्धासमए।
[१४६] अलोगागासे णं भंते! किं जीवा? पुच्छा तध चेव । गोयमा! नो जीवा जाव नो अजीवप्पएसा। एगे अजीवदव्वदेसे अगुरुयलहुए अणंतेहिं अगुरुयलयगुणेहिं संजुत्ते सव्वागासे अणंतभागूणे।
[१४७] धम्मत्थिकाए णं भंते! केमहालए पण्णते? गोयमा! लोए लोयमेते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव फुसित्ताणं चिट्ठड्।
एवं अधम्मत्थिकाए, लोयाकासे, जीवत्थिकाए, पोग्गलत्थिकाए। पंच वि एक्काभिलावा।
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[५-भगवई