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________________ सतं-२५, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-६ णाणं कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवे नियंठस्स सिणायस्स य एगे अजहन्नमणुक्कोसए संजमठाणे। पुलागस्स संजमठाणा असंखेज्जगुणा। बठसस्स संजमठाणा असंखेज्जगुणा। पडिसेवणाकुसीलस्स संजमठाणा असंखेज्जगुणा। कसायकुसीलस्स संजमठाणा असंखेज्जगुणा। [९१५]पुलागस्स णं भंते! केवतिया चरित्तपज्जवा पन्नता? गोयमा! अणंता चरितपज्जवा पन्नत्ता। एवं जाव सिणायस्स। पुलाए णं भंते! पुलागस्स सट्ठाणसन्निगासेणं चरितपज्जवेहिं किं हीणे, तुल्ले, अब्भहिए? गोयमा! सिय हीणे, सिय तुल्ले, सिय अब्भहिए। जदि हीणे अणंतभागहीणे वा असंखेज्जतिभागहीणे वा संखेज्जइभागहीणे वा, संखेज्जगुणहीणे वा असंखेज्जगुणहीणे वा, अणंतगुणहीणे वा। अह अब्भहिए अणंतभागमब्भहिए वा, असंखेज्जतिभागमब्भहिए वा, संखेज्जतिभागमब्भहिए वा, संखेज्जगुणमब्भहिए वा, असंखेज्जगुणमब्भहिए वा अणंतगुणमब्भहिए वा। पुलाए णं भंते! बउसस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहिं किं हीणे, तुल्ले, अब्भहिए? गोयमा! हीणे, नो तुल्ले, नो अब्भहिए; अणंतगुणहीणे। एवं पडिसेवणाकुसीलस्स वि। कसायकुसीलेण समं छट्ठाणपडिए जहेव सट्ठाणे। नियंठस्स जहा बउसस्स। एवं सिणायस्स वि। बउसे णं भंते! पुलागस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहिं किं हीणे, तुल्ले, अब्भहिए? गोयमा! नो हीणे, नो तुल्ले, अब्भहिए; अणंतगुणमब्भहिए। बउसे णं भंते! बउसस्स सट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहिं0 पुच्छा। गोयमा! सिय हीणे, सिय तुल्ले, सिय अब्भहिए। जदि हीणे छट्ठाणवडिए। बठसे णं भंते! पडिसेवणाकुसीलस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहिं किं हीणे? छट्ठाणवडिए। एवं कसायकुसीलस्स वि। बठसे णं भंते! नियंठस्स परट्ठाणसन्निकासेणं चरितपज्जवेहिं0 पुच्छा। गोयमा! हीणे, नो तुल्ले, नो अब्भहिए; अणंतगुणहीणे। एवं सिणायस्स वि। पडिसेवणाकुसीलस्स एवं चेव बठसवत्तव्वया भाणियव्वा। कसायकुसीलस्स एस चेव बठसवत्तव्वया, नवरं पुलाएण वि समं छट्ठाणपडिते। णियंठे णं भंते! पुलागस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहिं0 पुच्छा। गोयमा! नो हीणे, नो तुल्ले, अब्भहिए; अणंतगुणमब्भहिए। एवं जाव कसायकुसीलस्स। नियंठे णं भंते! नियंठस्स सट्ठाणसन्निगासेणं0 पुच्छा। गोयमा! नो हीणे, तुल्ले, नो अब्भहिए। [दीपरत्नसागर संशोधितः] [482] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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