SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 463
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सतं-२५, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-४ तेयोगा, नो दावर0, नो कलियोगा; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, कलियोगा। नेरइया णं भंते! दव्वट्ठताए0 पुच्छा। गोयमा! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा, जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, कलियोगा। एवं जाव सिद्धा। जीवे णं भंते! पएसट्ठताए किं कड0 पुच्छा। गोयमा! जीवपएसे पडुच्च कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावर0, नो कलियोगे; सरीरपएसे पइच्च सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे। एवं जाव वेमाणिए। सिद्धे णं भंते! पएसट्ठताए किं कडजुम्मे0 पुच्छा। गोयमा! कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे। जीवा णं भंते! पदेसठ्ठताए किं कडजुम्मा0 पुच्छा। गोयमा! जीवपएसे पडुच्च ओघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा; सरीरपएसे पइच्च ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि जाव कलियोगा वि। एवं नेरइया वि। एवं जाव वेमाणिया। सिद्धा णं भंते!0 पुच्छा। गोयमा! ओघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा। [८८३]जीवे णं भंते! किं कडजुम्मपएसोगाढे पुच्छा। गोयमा! सिय कडजुम्मपएसोगाढे जाव सिय कलियोगपएसोगाढे। एवं जाव सिद्धे। जीवा णं भंते! किं कडजुम्मपएसोगाढा0 पुच्छा। गोयमा! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोग0, नो दावर0, नो कलियोग0; विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा वि जाव कलियोगपएसोगाढा वि। नेरतिया णं0 पुच्छा | गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मपएसोगाढा जाव सिय कलियोगपएसोगाढा; विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा वि जाव कलियोगपएसोगाढा वि। एवं एगिदिय-सिद्धवज्जा सव्वे वि। सिद्धा एगिंदिया य जहा जीवा। जीवे णं भंते! किं कडजुम्मसमयट्ठितीए0 पुच्छा। गोयमा! कडजुम्मसमयहितीए, नो तेयोग0, नो दावर0, नो कलियोगसमयद्वितीये। नेरइए णं भंते!0 पुच्छा। गोयमा! सिय कडजुम्मसमयट्ठितीये जाव सिय कलियोगसमयहितीए। एवं जाव वेमाणिए। सिद्धे जहा जीवे। जीवा णं भंते!0 पुच्छा। गोयमा! ओघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मसमयद्वितीया, नो तेयोग0, नो दावर0, नो कलिओग0। नेरइया णं0 पुच्छा। गोयमा! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयट्ठितीया जाव सिय [दीपरत्नसागर संशोधितः] [462] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy