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________________ सतं-२०, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-६ तहा इह वि, नवरं अंतरेसु समोहणावेयव्वो, सेसं तं चेव जाव अणुत्तरविमाणाणं ईसिपब्भाराए य पुढवीए अंतरा समोहए, समोह० २ जे भविए अहेसत्तमाए घणवात-तणुवाते घणवातवलएसु तणुवायवलएसु वाउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, सेसं तं चेव, सेतेणठेणं जाव उववज्जेज्जा। सेवं भंते! सेवं भंते! ति। *वीसइमे सए छट्ठो उद्देसो समतो. 0 सत्तमो उद्देसो 0 [७९२]कतिविधे णं भंते! बंधे पन्नते? गोयमा! तिविधे बंधे पन्नते, तं जहा--जीवप्पयोगबंधे अणंतरबंधे परंपरबंधे। नेरतियाणं भंते! कतिविधे बंधे पन्नते? एवं चेव। एवं जाव वेमाणियाणं। नाणावरणिज्जस्स णं भंते! कम्मस्स कतिविधे बंधे पन्नते? गोयमा! तिविधे बंधे पन्नते, तं जहा-जीवप्पयोगबंधे अणंतरबंधे परंपरबंधे। नेरइयाणं भंते! नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स कतिविधे बंधे पन्नते? एवं चेव। एवं जाव वेमाणियाणं। एवं जाव अंतराइयस्स। णाणावरणिज्जोदयस्स णं भंते! कम्मस्स कतिविधे बंधे पन्नते? गोयमा! तिविहे बंधे पन्नते। एवं चेव। एवं नेरइयाण वि। एवं जाव वेमाणियाणं। एवं जाव अंतराइओदयस्स। इत्थिवेदस्स णं भंते! कतिविधे बंधे पन्नते? गोयमा! तिविधे बंधे पन्नते? एवं चेव। असुरकुमाराणं भंते! इत्थिवेदस्स कतिविधे बंधे पन्नते? एवं चेव। एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं जस्स इत्थिवेदो अत्थि। एवं पुरिसवेदस्स वि; एवं नपुंसगवेदस्स वि; जाव वेमाणियाणं, नवरं जस्स जो अत्थि वेदो। दंसणमोहणिज्जस्स णं भंते! कम्मस्स कतिविधे बंधे पन्नते? एवं चेव। [एवं] निरंतरं जाव वेमाणियाणं। एवं चरितमोहणिज्जस्स वि जाव वेमाणियाणं। एवं एएणं कमेणं ओरालियसरीरस्स जाव कम्मगसरीरस्स, आहारसण्णाए जाव परिग्गहसण्णाए, कण्हलेसाए जाव सुक्कलेसाए, सम्मद्दिट्ठीए मिच्छादिट्ठीए सम्मामिच्छादिट्ठीए, आभिणिबोहियणाणस्स जाव केवलनाणस्स, मतिअन्नाणस्स सुयअन्नाणस्स विभंगनाणस्स। एवं आभिनिबोहियनाणविसयस्स णं भंते! कतिविधे बंधे पन्नते? जाव केवलनाणविसयस्स, मतिअन्नाणविसयस्स, सुयअन्नाणविसयस्स, विभंगनाणविसयस्स; एएसिं सव्वेसिं पयाणं तिविधे बंधे पन्नते। [दीपरत्नसागर संशोधितः] [402] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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