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________________ सतं-२०, वग्गो-,सत्तंसत्तं-, उद्देसो-६ एवं एएणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए समाणे जे भविए सोहम्मे जाव ईसिपब्भाराए उववाएयव्वो । पुढविकाइए णं भंते! सोहम्मीसाणाणं सणकुमार - माहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए, समो० २ जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते! किं पुव्विं ववज्जिता पच्छा आहारेज्जा ? सेसं तं चेव जाव सेतेणट्ठेणं जाव णिक्खेवओ । पुढविकाइए णं भंते! सोहम्मीसाणाणं सणकुमार - माहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए, स० २ जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए? एवं चेव । एवं जाव अहेसत्तमाए उववातेतव्वो । एवं सणंकुमार-माहिंदाणं बंभलोगस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए, सह० २ पुणरवि जाव असत्तमाए उववाएयव्वो । असत्तमा एवं बंभलोगस्स लंतगस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए० पुणरवि जाव असत्तमाए । एवं लंतगस्स महासुक्कस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए, समोहणित्ता पुणरवि जाव एवं महासुक्कस्स सहस्सारस्स य कप्पस्स अंतरा० पुणरवि जाव अहेसत्तमाए । एवं सहस्सारस्स आणय - पाणयाण य कप्पाणं अंतरा० पुणरवि जाव असत्तमाए । एवं आणय-पाणयाणं आरणऽच्चुयाण य कप्पाणं अंतरा० पुणरवि जाव असत्तमाए । एवं आरणऽच्चुताणं गेवेज्जविमाणाण य अंतरा० जाव अहेसत्तमाए०। एवं गेवेज्जविमाणाणं अणुत्तरविमाणाण य अंतरा० पुणरवि जाव अहेसत्तमाए0 | एवं अणुत्तरविमाणाणं ईसिपब्भाराए य अंतरा० पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उववायव्वो । [७९०] आउकाइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए, समो० २ जे भविए सोहम्मे कप्पे आठक्काइयत्ताए उववज्जित्तए ? सेसं जहा पुढविकाइयस्स जाव सेतेणट्ठेणं । सेसं तं चेव । एवं पढम-दोच्चाणं अंतरा समोहयओ जाव ईसिपब्भाराए य उववातेयव्वो । एवं एएणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा० समोहए, समो० २ जाव इसिपब्भाराए उववातेयव्वो आउक्काइयत्ताए । आउयाए णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं सणकुमार माहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहते, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणोदधिवलएसु आउकाइयत्ताए उववज्जित्तए0? एवं एएहिं चेव अंतरा समोहयओ जाव असत्तमाए पुढवी घणोदधिवलएसु आउकाइयत्ताए वायव्वो । एवं जाव अणुत्तरविमाणाणं ईसिपब्भाराए य पुढवीए अंतरा समोहए जाव अहेसत्तमाए घणोदधिवलएसु उववातेयव्वो । [७९१] वाठकाइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे वाउकाइयत्ताए उववज्जित्तए ? एवं जहा सत्तरसमसए वाउकाइयउद्देसए [दीपरत्नसागर संशोधितः ] [५-भगवई] [401]
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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