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________________ सतं-२०, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-५ कक्खडे, देसे मठए, देसे गरुए, देसे लहुए, देसा सीता, देसा उसिणा, देसे निद्धे, देसे लुक्खे ४; एए चत्तारि चक्का सोलस भंगा। देसे कक्खडे, देसे मठए, देसे गरुए, देसा लहया, देसे सीए, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे; एवं एए गरुएणं एगत्तएणं, लहएणं पोहत्तएणं सोलस भंगा कायव्वा। देसे कक्खडे, देसे मठए, देसा गरुया, देसे लहए, देसे सीए, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे ४; एए वि सोलस भंगा कायव्वा। देसे कक्खडे, देसे मठए, देसा गरुया, देसा लया, देसे सीए, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे; एए वि सोलस भंगा कायव्वा। सव्वेते चठसळिं भंगा कक्खड-मठएहिं एगत्तएहिं। ताहे कक्खडेणं एगत्तएणं, मठएणं पुहत्तएणं एए चेव चठसळिं भंगा कायव्वा। ताहे कक्खडेणं पुहत्तएणं, मठएणं एगत्तएणं चठसळिं भंगा कायव्वा। ताहे एतेहिं चेव दोहि वि पुहत्तएहिं चउसठिं भंगा कायव्वा जाव देसा कक्खडा, देसा मठया, देसा गरुया, देसा लया, देसा सीता, देसा उसिणा, देसा निद्धा, देसा लुक्खा--एसो अपच्छिमो भंगो। सव्वेते अट्ठफासे दो छप्पण्णा भंगसया भवंति। एवं एए बादरपरिणए अणंतपएसिए खंधे सव्वेसु संजोएसु बारस छण्णउया भंगसया भवंति। [७८८] कतिविधे णं भंते! परमाणू पन्नते? गोयमा! चठविहे परमाणू पन्नते, तं जहादव्वपरमाणू खेतपरमाणू कालपरमाणू भावपरमाणू। दव्वपरमाणू णं भंते! कतिविधे पन्नते? गोयमा! चठविहे पन्नते, तं जहा--अच्छेज्जे अभेज्जे अडज्झे अगेज्झे। खेतपरमाणू णं भंते! कतिविधे पन्नते? गोयमा! चठविहे पन्नते, तं जहा--अणड अमज्झे अपएसे अविभाइमे। कालपरमाणू पुच्छा। गोयमा! चेठव्विधे पन्नते, तं जहा--अवण्णे अगंधे अरसे अफासे। भावपरमाणू णं भंते! कतिविधे पन्नते? गोयमा! चठव्विधे पन्नते, तं जहा--वण्णमंते गंधमंते रसमंते फासमंते। सेवं भंते! सेवं भंते! ति जाव विहरति। “यीसइमे सए पंचमो उडेसो समतो. 0 छट्ठो उद्देसो 0 [७८९] पुढविकाइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए, समोहण्णिता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते! किं पुट्विं उववज्जिता पच्छा आहारेज्जा, पुट्विं आहारेत्ता पच्छा उववज्जेज्जा? गोयमा! पुट्विं वा उववज्जित्ता0 एवं जहा सत्तरसमसए छठुद्देसे जाव सेतेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ पुव्विं वा जाव उववज्जेज्जा, नवरं तहिं संपाउणणा, इमेहिं आहारो भण्णइ, सेसं तं चेव। पुढविकाइए णं भंते? इमीसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए0 जे भविए ईसाणे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए? एवं चेव। एवं जाव ईसिपब्भाराए उववातेयव्वो। पुढविकाइए णं भंते! सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए, समो0 २ जे भविए सोहम्मे कप्पे जाव ईसिपब्भारा०। [दीपरत्नसागर संशोधितः] [400] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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