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________________ सतं-१९, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-८ कतिविधा णं भंते! सव्विंदियनिव्वत्ती पन्नत्ता? गोयमा! पंचविहा सव्विंदियनिव्वत्ती पन्नत्ता, तं जहा--सोतिंदियनिव्वत्ती जाव फासिंदियनिव्वत्ती। एवं जाव नेरइया जाव थणियकुमाराणं। पुढविकाइयाणं पुच्छा। गोयमा! एगा फासिंदियसव्विंदियनिव्वत्ती पन्नत्ता। एवं जस्स जति इंदियाणि जाव वेमाणियाणं। कतिविधा णं भंते! भासानिव्वत्ती पन्नत्ता? गोयमा! चठव्विहा भासानिव्वती पन्नता, तं जहा-- सच्चभासानिव्वत्ती, मोसभासानिव्वत्ती, सच्चामोसभासानिव्वत्ती, असच्चामोसभासानिव्वत्ती। एवं एगिंदियवज्जं जस्स जा भासा जाव वेमाणियाणं। कतिविहा णं भंते! मणनिव्वत्ती पन्नता? गोयमा! चठव्विहा मणनिव्वती पन्नता, तं जहा-- सच्चमणनिव्वत्ती जाव असच्चामोसमणनिव्वत्ती। एवं एगिंदिय-विगलिंदियवज्जं जाव वेमाणियाणं। कतिविहा णं भंते! कसायनिव्वती पन्नत्ता? गोयमा! चठव्विहा कसायनिव्वती पन्नत्ता, तं जहा--कोहकसायनिव्वती जाव लोभकसायनिव्वत्ती। एवं जाव वेमाणियाणं। कतिविधा णं भंते! वण्णनिव्वती पन्नत्ता? गोयमा! पंचविहा वण्णनिव्वत्ती पन्नत्ता, तं जहा-- कालावण्णनिव्वत्ती जाव सक्किलावण्णनिव्वत्ती एवं निरवसेसं जाव वेमाणियाणं। एवं गंधनिव्वत्ती दुविहा जाव वेमाणियाणं। रसनिव्वती पंचविहा जाव वेमाणियाणं। फासनिव्वत्ती अट्ठविहा जाव वेमाणियाणं। कतिविधा णं भंते! संठाणनिव्वत्ती पन्नता? गोयमा! छव्विहा संठाणनिव्वत्ती पन्नता, तं जहा-समचठरंससंठाणनिव्वत्ती जाव हंडसंठाणनिव्वत्ती।। नेरतियाणं पुच्छा। गोयमा! एगा हुंडसंठाणनिव्वत्ती पन्नता। असुरकुमाराणं पुच्छा। गोयमा! एगा समचठरंससंठाणनिव्वत्ती पन्नता। एवं जाव थणियकुमाराणं। पुढविकाइयाणं पुच्छा। गोयमा! एगा मसूरचंदासंठाणनिव्वती पन्नता। एवं जस्स जं संठाणं जाव वेमाणियाणं। कतिविधा णं भंते! सन्नानिव्वती पन्नता? गोयमा! चठव्विहा सन्नाणिवत्ती पन्नता, तं जहा-आहारसन्नानिव्वत्ती जाव परिग्गहसन्नानिव्वत्ती। एवं जाव वेमाणियाणं। कतिविधा णं भंते! लेस्सानिव्वत्ती पन्नत्ता? गोयमा! छव्विहा लेस्सानिव्वत्ती पन्नत्ता, तं जहा-कण्हलेस्सानिव्वती जाव सक्कलेस्सानिव्वत्ती। एवं जाव वेमाणियाणं, जस्स जति लेस्साओ। कतिविधा णं भंते! दिठिनिव्वत्ती पन्नता? गोयमा! तिविहा दिट्ठिनिव्वत्ती पन्नता, तं जहा [दीपरत्नसागर संशोधितः]] [388] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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