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सतं-१८, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-६
तहेव।
जहा पंचपएसिओ एवं जाव असंखेज्जपएसिओ। सुहमपरिणए णं भंते! अणंतपदेसिए खंधे कतिवण्णे? जहा पंचपदेसिए तहेव निरवसेसं।
बादरपरिणए णं भंते! अणंतपएसिए खंधे कतिवण्णे पुच्छा। गोयमा! सिय एगवण्णे जाव सिय पंचवण्णे, सिय एगगंधे सिय दुगंधे, सिय एगरसे जाव सिय पंचरसे, सिय चळफासे जाव सिय अट्ठफासे पन्नते। सेवं भंते! सेवं भंते! ति।
अठारसमे सए छठो उहेसो समतो.
0 सत्तमो उद्देसो 0 [७४२] रायगिहे जाव एवं वयासी
अन्नउत्थिया णं भंते! एवमाइक्खंति जाव परूवेति- एवं खलु केवली जक्खाएसेणं आइस्सति, एवं खलु केवली जक्खाएसेणं आइट्ठे समाणे आहच्च दो भासाओ भासइ, तं जहा- मोसं वा सच्चामोसं वा। से कहमेयं भंते! एवं? गोयमा! जं णं ते अन्नउत्थिया जाव जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि ४- नो खलु केवली जक्खाएसेणं आइस्सति, नो खलु केवली जक्खाएसेणं आइठे समाणे आहच्च दो भासाओ भासइ, तं जहा--मोसं वा सच्चामोसं वा। केवली णं असावज्जाओ अपरोवघातियाओ आहच्च दो भासाओ भासति, तं जहा--सच्चं वा असच्चामोसं वा।
[७४३] कतिविधे णं भंते! उवही पन्नते? गोयमा! तिविहे उवही पन्नते, तं जहा--कम्मोवही सरीरोवही बाहिरभंडमत्तोवगरणोवही।
नेरइयाणं भंते!0 पुच्छा। गोयमा! दुविहे उवही पन्नते, तं जहा--कम्मोवही य सरीरोवही य। सेसाणं तिविहा उवही एगिंदियवज्जाणं जाव वेमाणियाणं। एगिदियाणं दुविहे, तं जहा--कम्मोवही य सरीरोवही य।
कतिविहे णं भंते! उवही पन्नते? गोयमा! तिविहे उवही पन्नते, तं जहा--सच्चिते अचित्ते मीसए।
एवं नेरइयाण वि। एवं निरवसेसं जाव वेमाणियाणं।
कतिविधे णं भंते! परिग्गहे पन्नते? गोयमा! तिविहे परिग्गहे पन्नत्ते, तं जहा--कम्मपरिग्गहे सरीरपरिग्गहे बाहिरगभंडमत्तोवगरणपरिग्गहे।
नेरतियाणं भंते!0? एवं जहा उवहिणा दो दंडगा भणिया तहा परिग्गहेण वि दो दंडगा भाणियव्वा।
कतिविधे णं भंते! पणिहाणे पन्नते? गोयमा! तिविहे पणिहाणे पन्नते, तं जहा-मणपणिहाणे वइपणिहाणे कायपणिहाणे।
नेरतियाणं भंते! कतिविहे पणिहाणे पन्नते? एवं चेव। एवं जाव थणियकुमाराणं।
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[५-भगवई