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सतं-१८, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-१
पंचहिं पज्जत्तीहिं, पंचहिं अपज्जत्तीहिं एगत्त-पुहत्तेणं जहा आहारए। नवरं जस्स जा अत्थि जाव वेमाणिया नो पढमा, अपढमा।
इमा लक्खणगाहा-- [७२३] जो जेण पत्तपुव्वो भावो सो तेणऽपढमओ होति।
सेसेसु होइ पढमो अपतपुव्वेसु भावेसु ।। [७२४] जीवे णं भंते! जीवभावेणं किं चरिमे, अचरिमे? गोयमा! नो चरिमे, अचरिमे। नेरतिए णं भंते! नेरतियभावेणं0 पुच्छा। गोयमा! सिय चरिमे, सिय अचरिमे। एवं जाव वेमाणिए। सिद्धे जहा जीवे। जीवा णं0 पुच्छा। गोयमा! नो चरिमा, अचरिमा। नेरतिया चरिमा वि, अचरिमा वि। एवं जाव वेमाणिया। सिद्धा जहा जीवा। आहारए सव्वत्थ एगतेणं सिय चरिमे, सिय अचरिमे। पुहत्तेणं चरिमा वि, अचरिमा वि। अणाहारओ जीवो सिद्धो य; एगत्तेण वि पहत्तेण वि नो चरिमा, अचरिमा। सेसट्ठाणेसु एगत्त-पुहत्तेणं जहा आहारओ । भवसिद्धीओ जीवपदे एगत-पहतेणं चरिमे, नो अचरिमे। सेसट्ठाणेसु जहा आहारओ। अभवसिद्धीओ सव्वत्थ एगत्त-पहत्तेणं नो चरिमे, अचरिमे। नोभवसिद्धीयनोअभवसिद्धीयजीवा सिद्धा य एगत्त-पुहत्तेणं जहा अभवसिद्धीओ। सण्णी जहा आहारओ| एवं असण्णी वि। नोसन्नीनोअसन्नी जीवपदे सिद्धपदे य अचरिमो, मणुस्सपदे चरिमो, एगत्त-पुहत्तेणं। सलेस्सो जाव सुक्कलेस्सो जहा आहारओ, नवरं जस्स जा अत्थि। अलेस्सो जहा नोसण्णीनोअसण्णी। समद्दिट्ठी जहा अणाहारओ। मिच्छादिट्ठी जहा आहारओ ।
सम्मामिच्छद्दिट्ठी एगिंदिय-विगलिंदियवज्जं सिय चरिमे, सिय अचरिमे। पुहत्तेणं चरिमा वि, अचरिमा वि।
संजओ जीवो मणुस्सो य जहा आहारओ। असंजतो वि तहेव। संजयासंजतो वि तहेव; नवरं जस्स जं अत्थि। नोसंजयनोअसंजयनोसंजयासंजओ जहा नोभवसिद्धीयनोअभवसिद्धीयो। सकसायी जाव लोभकसायी सव्वट्ठाणेसु जहा आहारओ। अकसायी जीवपए सिद्धे य नो चरिमो, अचरिमो। मणुस्सपदे सिय चरिमो, सिय अचरिमो।
[दीपरत्नसागर संशोधितः]]
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[५-भगवई]