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________________ सतं-१४, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-८ सणंकुमार-माहिंदाणं भंते! बंभलोगस्स य कप्पस्स केवतियं0? एवं चेव। बंभलोगस्स णं भंते! लंतगस्स य कप्पस्स केवतियं0? एवं चेव। लंतयस्स णं भंते! महासुक्कस्स य कप्पस्स केवितियं0? एवं चेव। एवं महासुक्कस्स सहस्सारस्स य। एवं सहस्सारस्स आणय-पाणयाण य कप्पाणं। एवं आणय-पाणयाण आरणऽच्चुयाण य कप्पाणं। एवं आरणऽच्चुताणं गेवेज्जविमाणाण य। एवं गेवेज्जविमाणाणं अणुत्तरविमाणाण य। अणुतरविमाणाणं भंते! ईसिपब्भाराए य पुढवीए केवतिए0 पुच्छा। गोयमा! दुवालसजोयणे अबाहाए अंतरे पन्नते। ईसिपब्भाराए णं भंते! पुढवीए अलोगस्स य केवितिए अबाहाए पुच्छा। गोयमा! देसूणं जोयणं अबाहाए अंतरे पन्नते। [६२५] एस णं भंते! सालरुक्खए उण्हाभिहते तण्हाभिहए दवग्गिजालाभिहए कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति, कहिं उववज्जिहिति? गोयमा! इहेव रायगिहे नगरे सालरुक्खत्ताए पच्चायाहिति। से णं तत्थ अच्चियवंदियपूइयसक्कारियसम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सन्निहियपाडिहेरे लाउल्लोइयमहिते यावि भविस्सइ।। से णं भंते! तओहिंतो अणंतरं उव्वटित्ता कहिं गमिहिति? कहिं उववज्जिहिति? गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झहिति जाव अंतं काहिति। एस णं भंते! साललठ्ठिया उण्हाभिहया तण्हाभिहया दवग्गिजालाभिहया कालमासे जाव कहिं उववज्जिहिति? गोयमा! इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विंझगिरिपायमूले महेसरीए नगरीए सामलिरुक्खत्ताए पच्चायाहिति। सा णं तत्थ अच्चियवंदियपूइय जाव लाउल्लोइयमहिया यावि भविस्सइ। से णं भंते! तओहिंतो अणंतरं0, सेसं जहा सालरुक्खस्स जाव अंतं काहिति। एस णं भंते! उंबरलट्ठिया उण्हाभिहया तण्हाभिहया दवग्गिजालाभिहया कालमासे कालं जाव कहिं उववज्जिहिति? गोयमा! इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पाइलिपुत्ते नामं नगरे पाडलि- रुक्खत्ताए पच्चायाहिति। से णं तत्थ अच्चितवंदिय जाव भविस्सइ। से णं भंते! अणंतरं उव्वटिा ता०, सेसं तं चेव जाव अंतं काहिति। [६२६] तेणं कालेणं तेणं समएणं अम्मडस्स परिव्वायगस्स सत्त अंतेवासिसया गिम्हकालसमयंसि एवं जहा उववातिए जाव आराहगा। [६२७] बहुजणे णं भंते! अन्नमन्नस्स एवमाइक्खति ४-एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे नगरे घरसते एवं जहा उववातिए अम्मडवत्तव्वया जाव दढप्पतिण्णे अंतं काहिति। [६२८] अत्थि णं भंते! अव्वाबाहा देवा, अव्वाबाहा देवा? हंता अत्थि। से केणढेणं भंते! एवं वुच्चति अव्वाबाहा देवा, अव्वाबाहा देवा'? गोयमा! पभू णं एगमेगे अव्वाबाहे देवे एगमेगस्स पुरिसस्स एगमेगंसि अच्छिपत्तंसि दिव्वं देविड्ढिं दिव्वं देवजुतिं दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं बत्तीसतिविहं ना विहं उवदंसेत्तए, णो चेव णं तस्स परिसस्स किंचि आबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएति, [दीपरत्नसागर संशोधितः] [308] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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