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________________ सतं-१४, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-७ [६२०] कतिविधे णं भंते! तुल्लए पन्नत्ते? गोयमा? छव्विहे तुल्लए पन्नते, तं जहादव्वतुल्लए खेततुल्लए कालतुल्लए भवतुल्लए भावतुल्लए संठाणतुल्लए। से केणढेणं भंते! एवं वुच्चइ दव्वतुल्लए, दव्वतुल्लए'? गोयमा! परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलस्स दव्वतो तुल्ले, परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलवतिरित्तस्स दव्वओ णो तुल्ले। दुपएसिए खंधे दुपएसियस्स खंधस्स दव्वओ तुल्ले, दुपएसिए खंधे दुपएसियवतिरित्तस्स खंधस्स दव्वओ णो तुल्ले। एवं जाव दसपएसिए। तुल्लसंखेज्जपएसिए खंधे तुल्लसंखेज्जपएसिए खंधे तुल्लसंखेज्जपएसियस्स खंधस्स दव्वओ तुल्ले, तुल्लसंखेज्जपएसिए खंधे तुल्लसंखेज्जपएसियवतिरित्तस्स खंधस्स दव्वओ णो तुल्ले। एवं तुल्लअसंखेज्जपएसिए वि। एवं तुल्लअणंतपदेसिए वि। सेतेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चति 'दव्वतुल्लए, दव्वतुल्लए'। से केणढेणं भंते! एवं वुच्चइ खेततुल्लए, खेततुल्लए'? गोयमा! एगपदेसोगाढे पोग्गले एगपदेसोगाढस्स पोग्गलस्स खेतओ तुल्ले, एगपदेसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढवतिरितस्स पोग्गलस्स खेत्तओ णो तुल्ले। एवं जाव दसपदेसोगाढे, तुल्लसंखेज्जपदेसोगाढे0 तुल्लसंखेज्जा एवं तुल्लअसंखेज्जपदेसोगाढे वि। सेतेणठेणं जाव खेततुल्लए। से केणढेणं भंते! एवं वुच्चति 'कालतुल्लए, कालतुल्लए'? गोयमा! एगसमयठितीए पोग्गले एग0 कालओ तुल्ले, एगसमयठितीए पोग्गले एगसमयठितीयवतिरित्तस्स पोग्गलस्स कालओ णो तुल्ले। एवं जाव दससमयट्ठितीए। तुल्लसंखेज्जसमयठितीए एवं चेव। एवं तुल्लअसंखेज्जसमयट्ठितीए वि। सेतेणठेणं जाव कालतुल्लए, कालतुल्लए। से केणढेणं भंते! एवं वुच्चइ भवतुल्लए, भवतुल्लए'? गोयमा! नेरइए नेरइयस्स भवट्ठयाए तुल्ले, नेरइए नेरइयवतिरित्तस्स भवठ्ठयाए नो तुल्ले। तिरिक्खजोणिए एवं चेव। एवं मणुस्से। एवं देवे वि। सेतेणठेणं जाव भवतुल्लए, भवतुल्लए। से केणठेणं भंते! एवं वुच्चइ 'भावतुल्लए, भावतुल्लए'? गोयमा! एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालगस्स पोग्गलस्स भावओ तुल्ले, एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालगवतिरित्तस्स पोग्गलस्स भावओ णो तुल्ले। एवं जाव दसगुणकालए। तुल्लसंखेज्जगुणकालए पोग्गले तुल्लसंखेज्ज0। एवं तुल्लअसंखेज्जगुणकालए वि। एवं तुल्लअणंतगुणकालए वि। जहा कालए एवं नीलए लोहियए हालिद्दए सुकिल्लए। एवं सुब्भिगंधे दुब्भिगंधे। एवं तिते जाव महरे। एवं कक्खडे जाव लुक्खे। उदइए भावे उदइयस्स भावस्स भावओ तुल्ले, उदइए भावे उदइयभाववइरित्तस्स भावस्स भावओ नो तुल्ले। एवं उवसमिए खइए खयोवसमिए पारिणामिए, सन्निवातिए भावे सन्निवातियस्स भावस्स। सेतेणढेणं गोयमा! एवं वुच्चति 'भावतुल्लए, भावतुल्लए'| से केणठेणं भंते! एवं वुच्चइ 'संठाणतुल्लए, संठाणतुल्लए'? गोयमा! परिमंडले संठाणे परिमंडलस्स संठाणस्स संठाणओ तुल्ले, परिमंडले संठाणे परिमंडलसंठाणवतिरित्तस्स संठाणस्स संठाणओ नो तुल्ले। एवं वो तंसे चउरंसे आयए। समचठरंससंठाणे समचठरंसस्स संठाणस्स संठाणओ तुल्ले, समचठरंसे संठाणे समचठरंससंठाणवतिरित्तस्स संठाणस्स संठाणओ नो तुल्ले। एवं परिमंडले वि। एवं जाव हंडे। सेतेणठेणं जाव संठाणतुल्लए। [२१] भत्तपच्चक्खायए णं भंते! अणगारे मुच्छिए जाव अज्झोववन्ने आहारमाहारेइ, अहे णं [दीपरत्नसागर संशोधितः] [306] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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