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________________ सतं-१, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-८ तेणठेणं गोयमा! सिय तिकिरिए, सिय चकिरिए, सिय पंचकिरिए। [९०] पुरिसे णं भंते! कच्छंसि वा जाव अन्नयरस्स मियस्स वहाए आयतकण्णायतं उ आयामेत्ता चिट्ठिज्जा, अन्ने य से पुरिसे मग्गतो आगम्म सयपाणिणा असिणा सीसं छिंदेज्जा, से य उसू ताए चेव पुवायामणयाए तं मियं विंधेज्जा, से णं भंते! पुरिसे किं मियवेरेणं पुठे? पुरिसवेरेणं पुठे? गोतमा! जे मियं मारेति से मियवेरेणं पुढे, जे पुरिसं मारेइ से पुरिसवेरेणं पुढें। से केणठेणं भंते! एवं वुच्चइ जाव से पुरिसवेरेणं पुढे? से नूणं गोयमा! कज्जमाणे कडे, संधिज्जमाणे संधिते, निव्वत्तिज्जमाणे निव्वत्तिए, निसिरिज्जमाणे निसट्टे ति वत्तव्वं सिया? हंता, भगवं! कज्जमाणे कडे जाव निसढे ति वत्तव्वं सिया। से तेणढेणं गोयमा! जे मियं मारेति से मियवेरेणं पुढे, जे पुरिसं मारेइ से पुरिसवेरेणं पुढे। अंतो छण्हं मासाणं मरइ काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे, बाहिं छण्हं मासाणं मरति काइयाए जाव पारितावणियाए चठहिं किरियाहिं पुठे।। [९१] पुरिसे णं भंते! पुरिसं सत्तीए समभिधंसेज्जा, सयपाणिणा वा से असिणा सीसं छिंदेज्जा, ततो णं भंते! से पुरिसे कतिकिरिए? गोयमा! जावं च णं से पुरिसे तं पुरिसं सत्तीए समभिधंसेड़ सयपाणिणा वा से असिणा सीसं छिंदइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणि. जाव पाणातिवायकिरियाए पंचहिं किरियाहिं पुळे, आसन्नवहएण य अणवकखणवत्तिएणं पुरिसवेरेणं पुठे। [९२] दो भंते! पुरिसा सरिसया सरितया सरिव्वया सरिसभंडमत्तोवगरणा अन्नमन्नेणं सद्धिं संगामं संगामेंति, तत्थ णं एगे पुरिसे पराइणइ एगे पुरिसे पराइज्जइ, से कहमेयं भंते! एवं? गोतमा! सवीरिए परायिणति, अवीरिए पराइज्जति। से केणठेणं जाव पराइज्जति? गोयमा! जस्स णं वीरियवज्झाई कम्माइं नो बद्धाइं नो पुट्ठाई जाव नो अभिसमन्नागताइं, नो उदिण्णाइं, उवसंताई भवंति से णं परायिणति; जस्स णं वीरियवज्झाई कम्माई बढ़ाई जाव उदिण्णाई, नो उवसंताई भवंति से णं पुरिसे परायिज्जति। से तेणढेणं गोयमा! एवं वुच्चइ सवीरिए पराजिणइ, अवीरिए पराइज्जति! [९३] जीवा णं भंते! किं सवीरिया? अवीरिया? गोयमा! सवीरिया वि, अवीरिया वि। से केणठेणं? गोयमा! जीवा दुविहा पण्णत्ता; तं जहासंसारसमावन्नगा य, असंसारसमावन्नगा य। तत्थ णं जे ते असंसारसमावन्नगा ते णं सिद्धा, सिद्धा णं अवीरिया। तत्थ णं जे ते संसारसमावन्नगा ते विहा पन्नत्ता; तं जहा-सेलेसिपडिवन्नगा य, असेलेसिपडिवन्नगा य। तत्थ णं जे ते सेलेसिपडिवन्नगा ते णं लद्धिवीरिएणं सीरिया, करणवीरिएणं अवीरिया। तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवन्नगा ते णं लद्धिवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं सवीरिया वि अवीरिया वि। से तेणढेणं गोयमा! एवं वुच्चति जीवा दुविहा पण्णता; तं जहा-सवीरिया वि, अवीरिया वि। नेरइया णं भंते! किं सवीरिया? अवीरिया? गोयमा! नेरइया लद्धिवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं सवीरिया वि अवीरिया वि। से केणठेणं? गोयमा! जेसि णं नेरइयाणं अत्थि उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कारपरक्कमे ते णं नेरइया लद्धिवीरिएणं वि सवीरिया, करणवीरिएण वि सवीरिया, जेसि णं नेरइयाणं नत्थि उट्ठाणे जाव परक्कमे ते णं नेरइया लद्धिवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं अवीरिया। से तेणठेणं.०। जहा नेरइया एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिया। मणुस्सा जहा ओहिया जीवा। नवरं सिद्धवज्जा भाणियव्वा। [दीपरत्नसागर संशोधितः] [27] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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