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________________ सतं-१०, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-५ से केणढेणं भंते! एवं वुच्चइ-नो पभू चमरे असुरिंदे चमरचंचाए रायहाणीए जाव विहरित्तए? "अज्जो! चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए माणवए चेइयखंभे वइरामएसु गोलवटासमुग्गएसु बहूओ जिणसकहाओ सन्निक्खित्ताओ चिट्ठति, जाओ णं चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो अन्नेसिं च बहूणं असुरकुमाराणं देवाण य देवीण य अच्चणिज्जाओ वंदणिज्जाओ नमंसणिज्जाओ पूयणिज्जाओ सक्कारणिज्जाओ सम्माणणिज्जाओ कल्लाणं मंगलं देवयं चेतियं पज्जुवासणिज्जाओ भवंति, तेसिं पणिहाए नो पभू; सेतेणठेणं अज्जो! एवं वुच्चइ-नो पभू चमरे असुरिंदे जाव राया चमरचंचाए जाव विहरित्तए। पभू णं अज्जो! चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीहिं तावत्तीसाए जाव अन्नेहि य बहूहिं असुरकुमारेहिं देवेहि य देवीहि य सद्धिं संपरिडे महयाऽहय जाव भुजमाणे विहरितए, केवलं परियारिद्धीए; नो चेव णं मेणवत्तियं"। [४८९] चमरस्स णं भंते! असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सोमस्स महारण्णो कति अग्गमहिसीओ पन्नताओ? अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नताओ, तं जहा-कणगा कणगलया चित्तगुता वसुंधरा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देविसहस्सं परियारो पन्नत्तो। पभू णं ताओ एगमेगा देवी अन्नं एगमेगं देविसहस्सं परिवारं विउव्वित्तए। एवामेव चत्तारि देविसहस्सा, से तं तुडिए। पभू णं भंते! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सोमे महाराया सोमाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए सोमंसि सीहासणंसि तुडिएणं०? अवसेसं जहा चमरस्स, नवरं परियारो जहा सूरियाभस्स, सेसं तं चेव जाव णो चेव णं मेहणवत्तियं। चमरस्स णं भंते! जाव रणो जमस्स महारण्णो कति अग्गमहिसीओ0? एवं चेव, नवरं जमाए रायहाणीए सेसं जहा सोमस्स। एवं वरुणस्स वि, नवरं वरुणाए रायहाणीए। एवं वेसमणस्स वि, नवरं वेसमणाए रायहाणीए। सेसं तं चेव जाव णो चेव णं मेहणवत्तियं। बलिस्स णं भंते! वइरोयणिंदस्स० पुच्छा। अज्जो! पंच अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहासुंभा निसुंभा रंभा निरंभा मयणा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए अट्ठट्ठ० सेसं जहा चमरस्स, नवरं बलिचंचाए रायहाणीए परियारो जहा मोउद्देसए सेसं तं चेव, जाव मेहणवत्तियं। बलिस्स णं भंते! वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो सोमस्स महारण्णो कति अग्गमहिसीओ पन्नताओ? अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नताओ, तं जहा-मीणगा सुभद्दा विजया असणी। तत्थ णं एगमेगाए देवीए० सेसं जहा चमरसोमस्स, एवं जाव वेसमणस्स। धरणस्स णं भंते! नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो कति अग्गमहिसीओ पन्नताओ? अज्जो! छ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा-अलामक्का सतेरा सोयामणी इंदा घणविज्जुया। तत्थ णं एगमेगाए देवीए छ च्छ देविसहस्सा परियारो पन्नत्तो। पभू णं ताओ एगमेगा देवी अन्नाई छ च्छ देविसहस्साई परियारं विउवित्तए। एवामेव सपुव्वावरेणं छत्तीसं देविसहस्सा, से तं तुडिए। पभू णं भंते! धरणे०? सेसं तं चेव, नवरं धरणाए रायहाणीए धरणंसि सीहासणंसि सओ परियारो, सेसं तं चेव। [दीपरत्नसागर संशोधितः] [224] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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