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सतं-९, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-३३
एवं तेउक्काइयं वाउक्काइयं। एवं वणस्सइकाइयं। आउक्काइए णं भंते! पुढविक्काइयं आणमति वा पाणमति वा.? एवं चेव। आउक्काइए णं भंते! आउक्काइयं चेव आणमति वा.? एवं चेव। एवं तेउ-वाउ-वणस्सइकाइयं।
तेउक्काइए णं भंते! पुढविक्काइयं आणमति वा? एवं जाव वणस्सइकाइए णं भंते! वणस्सइकाइयं चेव आणमति वा.? तहेव।
पुढविक्काइए णं भंते! पुढविकाइयं चेव आणममाणे वा पाणममाणे वा ऊससमाणे वा नीससमाणे वा कइकिरिए? गोयमा! सिय तिकिरिए, सिय चकिरिए, सिय पंचकिरिए।
पुढविक्काइए णं भंते! आउक्काइयं आणममाणे वा.? एवं चेव। एवं जाव वणस्सइकाइयं। एवं आउकाइएण वि सव्वे वि भाणियव्वा। एवं तेठक्काइएण वि। एवं वाउक्काइएण वि।
वणस्सइकाइए णं भंते! वणस्सइकाइयं चेव आणममाणे वा.? पुच्छा। गोयमा! सिय तिकिरिए, सिय चकिरिए, सिय पंचकिरिए।
[४७३] वाठक्काइए णं भंते! रुक्खस्स मूलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए? गोयमा! सिय तिकिरिए, सिय चकिरिए, सिय पंचकिरिए।
एवं कंदं। एवं जाव बीयं पचालेमाणे वा. पुच्छा। गोयमा! सिय तिकिरिए, सिय चकिरिए, सिय पंचकिरिए। सेवं भंते! सेवं भंते ति.।
**नवमे सए चठत्तीसइमो उद्देसो समत्तो
___०-नवमं सतं समत्तं-० • मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च नवमं सतं समतं .
[] दसमं सयं[] [४७४] दिस संवुडअणगारे आइड्ढी सामहत्थि देवि सभा ।
उत्तर अंतरदीवा दसमम्मि सयम्मि चोत्तीसा ।।
0 पढमो उद्देसो 0 [४७५] रायगिहे जाव एवं वदासी-- किमियं भंते! पाईणा ति पवुच्चति? गोयमा! जीवा चेव अजीवा चेव। किमियं भंते! पडीणा ति पवच्चति? गोयमा! एवं चेव। एवं दाहिणा, एवं उदीणा, एवं उड़ढा, एवं अहा वि। कति णं भंते! दिसाओ पण्णताओ? गोयमा! दस दिसाओ पण्णताओ, तं जहा-पुरत्थिमा,
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[५-भगवई