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________________ सतं-८, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-९ प्पयोगबंधे य अपज्जत्तसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव पयोगबंधे य। वेठव्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! वीरियसजोगसद्दव्वयाए जाव आउयं वा लद्धिं वा पइच्च वेठव्वियसरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं वेठब्वियसरीरप्पयोगबंधे। वाउक्काइयएगिंदियवेठव्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! वीरियसजोगसद्दव्वयाए एवं चेव जाव लद्धिं वा पइच्च वाठक्काइयएगिंदियवेठव्विय जाव बंधे। रयणप्पभापुढविनेरइयपंचिंदियवेठव्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! वीरियसजोगसद्दव्वयाए जाव आउयं वा पडुच्च रयणप्पभापुढवि. जाव बंधे। एवं जाव अहेसत्तमाए। तिरिक्खजोणियपंचिंदियवेठब्वियसरीर. पुच्छा। गोयमा! वीरिय. जहा वाठक्काइयाणं। मणुस्सपंचिंदियवेठव्विय.? एवं चेव। असुरकुमारभवणवासिदेवपंचिंदियवेठव्विय. जहा रयणप्पभापुढविनेरइया। एवं जाव थणियकुमारा। एवं वाणमंतरा। एवं जोइसिया। एवं सोहम्मकप्पोवगया वेमाणिया। एवं जाव अच्चुय०। गेवेज्जकप्पातीया वेमाणिया एवं चेव। अणुत्तरोववाइयकप्पातीया वेमाणिया एवं चेव। वेठब्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते! किं देसबंधे, सव्वबंधे? गोयमा! देसबंधे वि, सव्वबंधे वि। वाठक्काइयएगिंदिय.। एवं चेव। रयणप्पभापुढविनेरइय.। एवं चेव। एवं जाव अणुत्तरोववाइया। वेठव्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा! सव्वबंधे जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं दो समया। देसबंधे जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तेतीसं सागरोवमाइं समयूणाई। वाउक्काइयएगिंदियवेठव्विय. पुच्छा। गोयमा! सव्वबंधे एक्कं समयं; देसबंधे जहन्नेणं एक्कं समय, उक्कोसेणं अंतोमुहुर्त। रयणपप्भापुढविनेरइय० पुच्छा। गोयमा! सव्वबंधे एक्कं समयं; देसबंधे जहन्नेणं दसवाससहस्साई तिसमयऊणाई, उक्कोसेणं सागरोवमं समऊणं। एवं जाव अहेसत्तमा। नवरं देसबंधे जस्स जा जहन्निया ठिती सा तिसमऊणा कायव्वा, जा च उक्कोसिया सा समयूणा। पंचिंदियतिरिक्खजोणियाण मणुस्साण य जहा वाठक्काइयाणं। असुरकुमार-नागकुमार. जाव अणुत्तरोववाइयाणं जहा नेरइयाणं, नवरं जस्स जा ठिई सा भाणियव्वा जाव अणुत्तरोववाइयाणं सव्वबंधे एक्कं समयं; देसबंधे जहन्नेणं एक्कत्तीसं सागरोवमाई तिसमयूणाई, उक्कोसेणं तेतीसं सागरोवमाई समयूणाई। वेठव्वियसरीरप्पयोगबंधंतरं णं भंते! कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा! सव्वबंधंतरं जहन्नेणं [दीपरत्नसागर संशोधितः] [175] [५-भगवई]
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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