SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 161
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सतं-८, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-५ गोयमा! तस्स णं एवं भवति-णो मे हिरण्णे, नो मे सुवण्णे, नो मे कंसे, नो मे दुसे, नो मे विउलधण-कणग-रयण-मणिमोत्तिय-संख-सिल-प्पवाल-रत्तरयणमादीए संतसारसावदेज्जे, ममत्तभावे पुण से अपरिण्णाते भवति, से तेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-सभंडं अणुगवेसइ, नो परायगं भंडं अणुगवेसइ। समणोवासगस्स णं भंते! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केइ जायं चरेज्जा, से णं भंते! किं जायं चरइ, अजायं चरइ? गोयमा! जायं चरइ, नो अजायं चरइ। तस्स णं भंते! तेहिं सीलव्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहि सा जाया अजाया भवइ? हंता, भवइ। से केणं खाइ णं अढेणं भंते! एवं वुच्चइ. 'जायं चरइ, नो अजायं चरइ'? गोयमा! तस्स णं ो मे भाया, णो मे भगिणी, णो मे भज्जा, णो मे पुता, णो मे धूता, नो मे सुण्हा, पेज्जबंधणे पुण से अव्वोच्छिन्ने भवइ, से तेणट्ठएणं गोयमा! जाव नो अजायं चरइ। • समणोवासगस्स णं भंते! पुव्वामेव थूलए पाणातिवाते अप्च्चक्खाए भवइ, से णं भंते! पच्छा पच्चाइक्खमाणे किं करेति? गोयमा! तीतं पडिक्कमति, पडुप्पन्नं संवरेति, अणागतं पच्चक्खाति। तीतं पडिक्कममाणे किं तिविहं तिविहेणं पडिक्कमति १, तिविहं विहेणं पडिक्कमति २, तिविहं एगविहेणं पडिक्कमति ३, दुविहं तिविहेणं पडिक्कमति ४, दुविहं दुविहेणं पडिक्कमति ५, दुविहं एगविहेणं पडिक्कमति ६, एक्कविहं तिविहेणं पडिक्कमति ७, एक्कविहं दुविहेणं पडिक्कमति ८, एक्कविहं एगविहेणं पडिक्कमति ९? गोयमा! तिविहं वा तिविहेणं पडिक्कमति, तिविहं वा दविहेणं पडिव चेव जाव एक्कविहं वा एक्कविहेणं पडिक्कमति।। तिविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेति, न कारवेति, करेंतं णाणुजाणति, मणसा वयसा कायसा। तिविहं विहेणं पडिक्कममाणे न करेति, न कारवेति, करेंतं नाणुजाणति, मणसा वयसा| अहवा न करेति, न कारवेति, करेंतं नाणुजाणति, मणसा कायसा| अहवा न करेइ, न कारवेति, करेंतं णाणुजाणति, वयसा कायसा। तिविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे न करेति, न कारवेति, करेंतं णाणुजाणति, मणसा | अहवा न करेइ, ण कारवेति, करेंतं णाणुजाणति, वयसा| अहवा न करेति, न कारवेति, करेंतं णाणुजाणति, कायसा | दुविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेति, मणसा वयसा कायसा| अहवा न करेति, करेंतं नाणुजाणइ, मणसा वयसा कायसा| अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ; मणसा वयसा कायसा। दुविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे न करेति न कारवेति, मणसा वयसा| अहवा न करेति, न कारवेति, मणसा कायसा| अहवा न करेति, न कारवेति, वयसा कायसा| अहवा न करेति, करेंतं नाणुजाणइ, मणसा वयसा | अहवा न करेति, करेंतं नाणुजाणइ, मणसा कायसा| अहवा न करेति, करेंतं नाणुजाणति, वयसा कायसा| अहवा न कारवेति, करेंतं नाणुजाणति मणसा वयसा| अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ, मणसा कायसा| अहवा न कारवेति, करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा। दुविहं एक्कविहेणं पडिक्कममाणे न करेति, न कारवेति, मणसा| अहवा न करेति, न कारवेति वयसा| अहवा न करेति, न कारवेति कायसा| अहवा न करेति, करेंतं नाणुजाणइ, मणसा| अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणति, वयसा| अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ, कायसा| अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ, मणसा| अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ, वयसा| अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ, कायसा। एगविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेति, मणसा वयसा कायसा| अहवा न कारवेइ मणसा वयसा कायसा| अहवा करेंतं नाणुजाणति मणसा वयसा कायसा| [दीपरत्नसागर संशोधितः] [160] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy