SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सतं-८, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-५ एक्कविहं विहेणं पडिक्कममाणे न करेति मणसा वयसा| अहवा न करेति मणसा कायसा| अहवा न करेइ वयसा कायसा| अहवा न कारवेति मणसा वयसा| अहवा न कारवेति मणसा कायसा| अहवा न कारवेइ वयसा कायसा| अहवा करेंतं नाणुजाणति मणसा वयसा| अहवा करेंतं नाणुजाणति मणसा कायसा| अहवा करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा। एक्कविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे न करेति मणसा| अहवा न करेति वयसा| अहवा न करेति कायसा| अहवा न कारवेति मणसा| अहवा न कारवेति वयस| अहवा न कारवेइ कायसा| अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा| अहवा करेंतं नाणुजाणति वयसा| अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा। पड़प्पन्नं संववेमाणे किं तिविहं तिविहेणं संवरेइ? एवं जहा पडिक्कममाणेणं एगूणपण्णं भंगा भणिया एवं संववेमाणेण वि एगूणपण्णं भंगा भाणियव्वा। अणागतं पच्चक्खमाणे किं तिविहं तिविहेणं पच्चक्खाइ? एवं ते चेव भंगा एगूणपण्णं भाणियव्वा जाव अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा। समणोवासगस्स णं भंते! पुव्वामेव थूलमुसावादे अपच्चक्खाए भवइ, से णं भंते! पच्छा पच्चाइक्खमाणे एवं जहा पाणाइवातस्स सीयालं भंगसतं भणितं तहा मुसावादस्स वि भाणियव्वं। एवं अदिण्णादाणस्स वि। एवं थूलगस्स मेहुणस्स वि। थूलगस्स परिग्गहस्स वि जाव अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा। एए खलु एरिसगा समणोवासगा भवंति, नो खलु एरिसगा आजीवियोवासगा भवंति। [४०३] आजीवियसमयस्स णं अयमढे पण्णते-अक्खीणपडिभोइणो सव्वे सत्ता, से हंता छेत्ता भत्ता लुंपित्ता विलुपित्ता उद्दवइत्ता आहारमाहारेति। तत्थ खलु इमे द्वालस आजीवियोवासगा भवंति, तं जहा-ताले, तालपलंबे, उव्विह, संविहे, अवविहे, उदए, नामुदए, णम्मुदए, अणुवालए, संखवालए, अयंपुले, कायरए। इच्चेते द्वालस आजीवियोवासगा अरहंतदेवतागा अम्मा-पिठसुस्सूसगा; पंचफलपडिक्कंता, तं जहा-उंबरेहिं, वडेहिं, बोरेहिं सतरेहिं पिलंखूहिं; पलंडु-ल्हसण-कंद-मूलविवज्जगा अणिल्लंछिएहिं अणक्कभिन्नेहिं गोणेहिं तसपाणविवज्जिएहिं छेत्तेहिं वितिं कप्पेमाणे विहरंति। ___एए वि ताव एवं इच्छंति, किमंग पुण जे इमे समणोवासगा भवंति?' जेसिं नो कप्पंति इमाई पण्णरस कम्मादाणाई सयं करेत्तए वा, कारवेत्तए वा, करेंतं वा अन्नं न समणुजाणेत्तए, तं जहा-इंगाल कम्मे वणकम्मे साडीकम्मे भाडीकम्मे फोडीकम्मे दंतवाणिज्जे लक्खवाणिज्जे केसवाणिज्जे रसवाणिज्जे विसवाणिज्जे जंतपीलणकम्मे निल्लंछणकम्मे दवग्गिदावणया सर-दह-तलायपरिसोसणया असतीपोसणया। इच्चेते समणोवासगा सुक्का सुक्काभिजातीया भवित्ता कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेस् देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति। [४०४] कतिविहा णं भंते! देवलोगा पण्णता? गोयमा! चठव्विहा देवलोगा पण्णता, तं जहाभवणवासि-वाणमंतर-जोइस-वेमाणिया। सेवं भंते! सेवं भंते! ति.। अठमे सए पंचमो डेसो समतोल [दीपरत्नसागर संशोधितः] [161] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy