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________________ सतं-७, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-२ [३४२]देसुत्तरगुणपच्चक्खाणे णं भंते! कतिविहे पण्णते? गोयमा! सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहादिसिव्वयं, उवभोग-परीभोगपरिमाणं, अणत्थदंडवेरमणं, सामाइयं, देसावगासियं, पोसहोववासो, अतिहिसंविभागो, अपच्छिममारणंतियसंलेहणा झूसणाऽऽराहणता। [३४३]जीवा णं भंते! किं मूलगुणपच्चक्खाणी, उत्तरगुणपच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी? गोयमा! जीवा मूलगुणपच्चक्खाणी वि, उत्तरगुणपच्चक्खाणी वि, अपच्चक्खाणी वि। नेरइया णं भंते! किं मूलगुणपच्चक्खाणी.? पुच्छा। गोतमा! नेरइया नो मूलगुणपच्चक्खाणी, नो उत्तरगुणपच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी। एवं जाव चरिंदिया। पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा य जहा जीवा | वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणिया जहा नेरइया | एतेसि णं भंते! जीवाणं मूलगुणपच्चक्खाणीणं उत्तरगुणपचक्खाणीणं अपच्चक्खाणीण य कतरे कतरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा जीवा मूलगुणपच्चक्खाणी, उत्तरगुणपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी अणंतगुणा। एतेसि णं भंते! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं. पुच्छा। गोयमा! सव्वत्थोवा जीवा पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मूलगुणपच्चक्खाणी, उत्तरगुणपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी असंखिज्जगुणा। ___एतेसि णं भंते! मणुस्साणं मूलगुणपच्चक्खाणीणं. पुच्छा। गोयमा! सव्वत्थोवा मणुस्सा मूलगुणपच्चक्खाणी, उत्तरगुणपच्चक्खाणी संखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा। जीवा णं भंते! किं सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी? देसमूलगुणपच्चक्खाणी? अपच्चक्खाणी? गोयमा! जीवा सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, देसमूलगुणपच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी वि। नेरइयाणं पुच्छा। गोयमा! नेरतिया नो सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, नो देसमूलगुणपच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी। एवं जाव चरिंदिया। पंचेंदियतिरिक्खपुच्छा। गोयमा! पंचेंदियतिरिक्खा नो सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, देसमूलगुणपच्चक्खाणी वि, अपच्चक्खाणी वि। मणुस्सा जहा जीवा। वाणमंतर-जोतिस-वेमाणिया जहा नेरइया। एतेसि णं भंते! जीवाणं सव्वमूलगुणपच्चक्खाणीणं देसमूलगुणपच्चक्खाणीणं अपच्चक्खाणीण य कतरे कतरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा जीवा सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी। एवं अप्पाबगाणि तिण्णि वि जहा पढमिल्लए दंडए, नवरं सव्वत्थोवा पंचेंदियतिरिक्खजोणिया देसमूलगुण- पच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा। जीवा णं भंते! किं सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणी? देसुत्तरगुणपच्चक्खाणी? अपच्चक्खाणी? गोतमा! जीवा सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणी वि, तिण्णि वि। पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मणस्सा य एवं चेव। दीपरत्नसागर संशोधितः] [124] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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